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________________ मोक्षधाम-केवलज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् तीसवां चातुर्मास पावापुरी में हुआ और वहीं कातिक कृष्णा ३० मध्य रात्रि में निर्वाण हुअा। (?) इस प्रकार भगवान महावीर की कुल आयु जन्म से निरिस तक अधिक मान्यतानुसार मोटे रूप से ७२ वर्ष ६ माह १७ दिन तथा जयधवला के अनुसार ७० वर्ष ६ माह १७ दिन होती है । और यह सर्व विदित है कि निर्वाण के पश्चात् २५०० वर्षों की समाप्ति विक्रम सं० २०३१ कार्तिक कृष्णा १४ (प्रमावश्या क्षय थी) बुधवार आंग्ल दिनांक १३ नवम्बर सन् १९७४ को होने से पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी सारे देश में एक मत से मनाई गई है। उपर्युक्त विवरण के आधार पर प्रामाणिक गणना विधि द्वारा सही गणना कर हम निकटतम आंग्ल दिनांक आसानी से ज्ञात कर सकते हैं। इसके लिए प्रयास किया गया। भगवान महावीर के जन्म पूर्व से अर्थात् विक्रम संवत के पूर्व लगभग ५५० वर्ष से लेकर अब तक की अधिक मासों की सूचियों का संकलन किया गया जो गण्यमान्य विद्वानों गणनाकारों द्वारा निर्मित हुई हैं। और उनकी पुष्टि सूर्य सिद्धान्त में दी हुई गणना विधि से भी की गई। यह भी ज्ञात हुआ कि बहुत कम लेकिन कालान्तर में कभी-कभी किसी वर्ष में क्षय मास भी होता है, लेकिन ऐसे क्षय मास के निकट तत्काल या २-३ माह के अंतर पर असाधारण अधिक मास उस क्षय मास की पूर्ति के रूप में हो जाता है और शुद्ध अधिक मासों की गिनती में ऐसा अधिक मास नहीं लिया जाता । तो इस प्रकार भगवान महावीर के जन्म से मोक्ष धाम तक २६ शुद्ध अधिक मास हुए । और निर्वारण से २५ वीं निर्वाणशताब्दी तक ६२३ शुद्ध अधिक मास हुए हैं । सूर्य सिद्धान्त के अनुसार चांद्रमास का मध्यम मान २६-५३०५८८ दिन तथा चांद्र वर्ष का मध्यममान ३५४.३६७०५५ दिन है । अतः भगवान महावीर के जीवन की अवस्थाएं अहर्गणना में अल्पांतर से निम्न प्रकार होती हैं : बीच के। चांद्र सौर चांद्र प्रसंग अवस्था चांद्रमास| अधिक कुल पूरे (मिश्र) वर्ष तिथियां दिन मास १ गृहस्थ (जन्मसे दीक्षा) | अधिक मान्यता नुसार जयधवलानुसार १०४६६ २ साधुत्व छदमस्त (दीक्षा सर्वमान्य ४५६३ से केवल प्राप्ति) ३ केवलीवस्था ( केवल १०७३६ प्राप्ति से निर्वाण) १११७४ ७२ १७ । २६ । २६४७६ ७ । २६ । २५७६८ अधिक मान्यता- | कुल योग नुसार जयधवलानुसार । और मोक्ष प्राप्ति से २५०० वी. . निर्वाण शताब्दी तक ७० २५०० १ ६२३ ६१३१७३ 3-26 महावीर जयन्ती स्मारिका 76 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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