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________________ 1-34 2. वज्रमुखी चींटियां उत्पन्न की। उन्होंने 13. सिद्धार्थ और त्रिशला बनकर हृदय-भेदी विलाप __ महावीर के सारे शरीर को खोखला कर करते हुए उन्होंने कहा-"वर्द्धमान ! वृद्धादिया। वस्था में हमें असहाय छोड़कर तू कहां चला माया ?" 3. मच्छरों के झुण्ड बनाए और उन्हें महावीर पर छोड़ा। उन्होंने उनके शरीर का खून 14. महावीर के दोनों पैरों के बीच में अग्नि चूसा। जलाकर भोजन पकाने का वर्तन रखा । 4: तीक्ष्ण मुखी दीमके उत्पन्न की। वे महावीर महावीर उस अग्नि दाह से विचलित न हुए के शरीर पर चिपट गई। अपितु उनकी क्रान्ति चमक उठी। b. जहरीले बिच्छुओं की सेना तैयार की। उन्होंने 16. महावीर के शरीर पर पक्षियों के पिंजरे ___एक साथ महावीर पर आक्रमण किया और लटका दिये। पक्षियों ने अपनी चोंच मौर अपने तीखे डंक से उन्हें डसने लगे। पंजों से प्रहार कर उन्हें क्षत-विक्षत करने का 6. नेवले छोड़े। भयंकर शब्द करते हए वे महावीर प्रयत्न किया। पर टूट पड़े तथा उनके मांस खण्ड को छिन्न- 16. भयंकर प्रांधी चलाई। वृक्ष मूल से उखडने भिन्न करने लगे! लगे, मकानों को छतें उडने लगी, महावीर 7: नुकीले दांत और विष की थैलियों से भरे उस वातूल में कई बार उड़े और गिरे । सर्प छोड़े। वे महावीर को बार-बार काटने 17. चक्राकार वायु चलाई। महावीर उसमें चक्र लगे। अन्ततः जब वे निर्विष हो गये तो की तरह घूमने लगे शिथिल होकर गिर पड़े। 18. काल चक्र चलाया। महावीर धुटने तक भूमि 8, चूहे उत्पन्न किए। वे महावीर को अपने में धंस गये। . नुकीले दांतों से काटने के साथ साथ उन पर इन प्रतिकूल परिषहों में भी महावीर की मूत्र-विसंजन भी करते । कटे हुए जख्मों पर दृढता कवि के निम्नलिखित उद्गारों को चरितार्थ मूत्र नमक का काम करता था। कर रही थी9. लम्बी सूढ वाला हाथी तैयार किया। उसने इत्र की मिट्टी में मिलकर महावीर को आकाश में पुनः पुनः उछाला भी खुशबू जाती नहीं, और गिरते ही उन्हें अपने पैरों से रौंदा तथा ___ तोड़ भी डालो तो उनकी छाती पर तीखे दांतों से प्रहार किया। होरे की चमक जाती नहीं ! 10. हाथी की तरह हथिनी बनाई और उसने भी जब महावीर का धैर्य अडिग रहा तो संगम देवता महावीर को उछाला और पैरों से रौंदा। . लज्जा का अनुभव करने लगा। फिर भी उसने प्रयास 11. वीभत्स पिशाच का रूप बनाया और वह जारी रखा । भगवान् महावीर का ध्यान भङ्ग भयानक किल-कारियां करता हमा, हाथ में करने के लिए उसने अनुकूल प्रयत्न भी किये। पैनी बी लेकर महावीर पर झपटा। पूरी 19. एक विमान में बैठ कर मह वीर के पास शक्ति से उन पर प्राक्रमण किया। आया और बोला-“कहिये, आपको स्वर्ग चाहिए 12. विकराल व्याघू बन कर वज्र-सदृश दांतों या अपवर्ग ? अभिलाषा पूर्ण करूगा । और त्रिशूल-सदृश नाखूनों से महावीर के 20. अन्ततः उसने एक अप्सरा को लाकर शरीर का विदारण किया। महावीर के सम्मुख खड़ा किया। उसने भी अपने For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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