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________________ च Jain Education International इया के सक्रिय एवं प्रमूल्य सहयोग के बिना अल्प समय में स्मारिका का प्रकाशन नहीं हो सकता था । स्मारिका के सम्पादन में पं. भवरलालजी पोल्याका जैन दर्शनाचार्य स्वस्थ होते हुए भी जिस निष्ठा एव परिश्रम के साथ उन्होंने व उनके सम्पादक मंडल के सहयोगियों ने जो कार्य किया है, यह प्रकाशन उन्हीं का प्रतिफल है । मैसर्स अजन्ता प्रिण्टर्स विशेषकर श्री जितेन्द्रकुमार संघी, श्री केवलचन्दजी ठोलिया ने रात दिन परिश्रम कर मुद्रण कार्य किया है विज्ञापनदाताओं के आर्थिक सहयोग का ही परिणाम है कि प्रकाशन समय पर हो सका । मैं उन विद्वानों के प्रति आभार प्रकट करूंगा जिन्होंने अल्प समय की सूचना पर ही अपनी विद्वतापूर्ण रचनाएँ भेजकर मनुगृहीत किया । विश्ववंद्य भगवान महावीर के चरणों में शत शत बन्दन । For Private & Personal Use Only कपूरचन्द पाटनी - प्रबंध सम्पादक www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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