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________________ कठपुतली ● दिखाश्रो पेलो, O -कठपुतली रो तिबारीनुमो मंच, ग्राणंदी अर कपूरी दो पुतल्यां मंच पर श्रावं, श्राणंदी रे नीचे में घाघरो पर ऊपर अंगरखी, दाड़ी मूछां ने हाथ बांक्यो. कपूरी जनानी वेश में, गला में ढोल लटकायो थको. दोई बाजा प्राणंद मंगल रा सूचक. प्राणंदी- (बांक्यो बजाता हुआ ) हां भाई सुपो. कपूरी - ( ढोल ढमाकती थकी) हां बाई सुणावो. श्राणंदी - कूण बाई ? कपूरी - कूरण भाई ? प्राणंदी - श्रठे कोई बाई नीं कपूरी- अठे कोई भाई नीं प्राणंदी-धू करण ? कपूरी-ढम ढम ढम ( ढोल बजावै) पर थू ? प्राणंदी - पुहू हूं हूं (बांक्यो बजाव) कपूरी - वाह वाह. जस्यो थू वस्योइ थारो बाजो प्राणंदी - म्हारा में कई खोट ? ! पूरी हूं राईसोट: म्हारो बांक्यो करदे थारे ढोलम पोलम पोल (नेड़े जार कूणोऊ कपूरी ने गरगलावे ) कपूरी - थारे बाक्ये बांक धरणी है थू भी बांको बांकी मरदपणा में धाल घाघरो क्यू मचल्यो थू डाकी ( ढम ढम ) Jain Education International परभु पालणिये डॉ० महेन्द्र भानावत प्राणंदी -राणी तिसला सुपना देख्यो अरथ बतायो मोटो महावीर जलमेगा तो फेर की बात से टोटो, ( पूहूं पहूं ) कपूरी - म्हारा सोगन सांची केव ? प्राणंदी - थारा बाप की सोगन, म्हैं तो सांची ही केतां श्राया, झूठ बोलणो ने जंजाल पालरणो बराबर समझा. कपूरी- ओर कई सुण्यो. पूरी बात तो करो बेटी का बाप. प्राणंदी - म्हैं तो कुंवारा हां, भखन कुंवारा, जलम कुंवारा, सुपनां तो म्हांभी घरणाई देखां पर पिंडत केंवे के थांरे सुपना रो फल नीं आवे कपूरी- कई सुपनो प्रायो ? वोलो तो म्हूं बता फल. आणंदी - सूपनो घणो गेहरो है. कपूरी - सुणावतो. श्राणंदी - ले सुरण (गावे) सूतो छो करवट फेर ने म्हने धीरासू प्रायो रे जंजाल सुपना में म्हांने कपूरी मिलाद्यो रे. ( हूं पुहं पुहूं) कपूरी- कपूरी श्राप बी सुपनो ई लेर जीवे म्हारा सेंग सुपना कपूर बरण हाथ सू जातारिया. अबे म्हने तो यो संसारई सुपनो लागबू करें For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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