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________________ 1-75 महावीर ने विद्रोह नहीं, अद्रोह किया था। घर में जो कुछ घटता है, अपनी और से विद्रोह, ब्रोह का ही एक भेद है। द्रोह स्वयं एक घंटता है पर वन में तो बाहर से बहुत कुछ घट विकार है। उन्होंने न स्वयं से द्रोह किया, न जाने के प्रसंग रहते हैं क्योंकि घर में बाहर के इसरों से । उन्होंने द्रोह का प्रभाव किया था, अतः आक्रमण से सुरक्षा का प्रबन्ध प्रायः रहता है। उन्हें प्रद्रोही ही कहा जा सकता है, विद्रोही नहीं। यदि कोई उत्पात हो, तो अन्तर के विकारों के द्रोह-द्रोह को उत्पन्न करता है, द्रोह से प्रद्रोह का कारण ही होता देखा जाता है, पर वन में बाहर से जन्म नहीं हो सकता। उन्होंने किसी के प्रति सुरक्षा प्रबन्ध का प्रभाव होने से घटनाएं घटने की विद्रोह करके घर नहीं छोड़ा था। उनका त्याग संभावना अधिक रहती है। माना कि महावीर का विद्रोह मूलक न था। उनके त्याग और संयम के अन्तर विशुद्ध था । अतः घर में कुछ न घटा, पर कारणों को दूसरों में खोजना महावीर के साथ वन में तो घटा ही होगा ? अन्याय है। वे 'न काहू से दोस्ती न काहू से बैर' हाँ ! हाँ ! अवश्य घटा था पर लोक जैसे के रास्ते पर चले थे। घटने को घटना मानता है, वैसा कुछ नहीं घटा वीतरागी-पथ पर चलने वाले विरागी महावीर था। राग-द्वेष घट गये थे, तब तो वे वन को को समझने के लिए उनके अन्तर में झांकना होगा। गये ही थे । क्या राग-द्वेष का घटना कोई घटना उनका वैराग्य देश-काल की परिस्थितियों से नहीं है । पर बहिमुखी दृष्टि वालों को राग-द्वेष उत्पन्न नहीं हुआ था। उनके कारण उनके अंतरंग घटने में कुछ घटना सा नहीं लगता । यदि तिजोरी में विद्यमान थे उनका परोपजीवी नहीं था . जो मे से लाख, दो लाख रुपया घट जायें, शरीर में से राग्य किन्हीं विशिष्ट परिस्थितियों के कारण कुछ खून घट जाये, प्रांख, नाक, कान घट जाय, उत्पन्न होता है, वह क्षण-जीवी होता है। परि• कट जाय तो इसे बहुत बड़ी घटना लगती है, पर स्थितियों के बदलते ही, उसका समाप्त हो जाना राग द्वेष घट जायें तो इसे घटना ही नहीं लगता। संभव है। वन में ही तो महावीर रागी से वातरागी बने थे, यदि देश-काल की परिस्थितियाँ महावीर के अल्प ज्ञानी से पूर्ण ज्ञानी बने थे। सर्वज्ञता और अनुकूल होती तो क्या वे वैराग्य धारण न करते; तीर्थकरत्व वन में ही तो पाया था। क्या यह बहस्थी बसाते; राज्य करते ? नहीं, कदापि नहीं।' घटनाएँ छोटी हैं ? क्या कम हैं ? इससे बड़ी भी और परिस्थितियां उनके प्रतिकूल थी ही कब? कोई घटना हो सकती है ? मानव से भपवान बन जीर्थकर महान पुण्यशाली महापुरुष होते हैं, अतः जाना कोई छोटो घटना है ? पर जगत् को तो परिस्थितियों का प्रतिकूल होना सभव नहीं था। इसमें कोई घटना सी ही नहीं लगती। तोड़-फोड़ . वैराग्य या विराग राग के प्रभाव का नाम की रुचि-वाले जगत् को तोड़-फोड़ में ही घटना है, विद्रोह का नाम नहीं। वे वैरागी राग के नजर पाती है, अन्तर में शांति से च हे जो कुछ . प्रभाव के कारण बने थे. न कि विद्रोह के कारण। घट जाय. उसे. बर. घटना 1. घटना सा नहीं महावीर वैरागी राजकुमार थे, न कि विद्रोही। लगता है । अन्तर में जो कुछ प्रतिपल घट रहा है महावीर जैसे अद्रोही महा मानव में विद्रोह खोज वह तो ससे दिखाई नहीं देता, बाहर में कुछ हल. बिना अभूतपूर्व खोज बुद्धि के परिणाम हैं । बालू चल हो, तभी कुछ घटा सा बगता है। में से तेल निकाल लेने जैसा यत्न है। बन्ध्या के जब तक देवांगनाएं लुभाने को न मावें और हुन्ज के विवाह वर्णनवत् कल्पना की उड़ानें हैं. उनके लुभाते पर भी कोई महापुरुष न डिगे तब Pant न मोर है, न छोर। तक हमें उसकी विसगता में शक्ल बनी रहती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014031
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1975
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1975
Total Pages446
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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