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________________ श्रमणविद्या- ३ हुआ एक व्यक्ति का अंकन है । यह मूर्त्ति ११वीं शताब्दी की अनुमानित की गई है। पंचफणावलि से यह सुपार्श्वनाथ की मूर्ति प्रतीत होती है। २२२ एक खड्गासन प्रतिमा, जिसके दोनों ओर यक्ष-यक्षी खड़े हैं। वत्स पर श्रीवत्स अंकित हैं। इस प्रतिमा पर कोई चिन्ह नहीं है तथा अंलकरण भी नहीं है । इन कारणों से इसे प्रथम शताब्दी में निर्मित माना जाता है । एक शिलाफलक पर चौबीसी अंकित है। मध्य में पद्मासन ऋषभदेव का अंकन है। केशों की लटें कन्धों पर लहरा रही हैं। पादपीठ पर वृषभ चिन्ह अंकित है। दोनों पार्श्वो में शासन देव चक्रेश्वरी और गोमुख का अंकन है। दोनों द्विभुजी और अलंकरण धारण किए हुए हैं। चक्रेश्वरी के एक हाथ में चक्र तथा दूसरे में बिजौरा हैं । मूर्ति के मस्तक पर त्रिछत्र और दोनों ओर सवाहन गज हैं। त्रिछत्र के ऊपर दो पक्तियों में पद्मासन ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में २३ तीर्थङ्कर मूर्तियाँ हैं। पीठिका के नीचे की ओर उपासकों का अंकन किया गया है। उसका समय ११वीं शताब्दी अनुमानित किया गया है। १ उक्त पुरातत्त्व की सामग्रियों के अतिरिक्त भेलूपुर स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर का पुनर्निर्माण जीर्णोद्धार कराते समय अनेक मूर्तियाँ भूगर्भ से प्राप्त हुई हैं। अज्ञानतावश अनेक मूर्तियाँ खण्डित हो गई और अनेक मूर्तियाँ भूगर्भ में ही रह गई । इस प्रकार पुरातत्त्व की प्रचुर उपलब्धता इस ओर संकेत करती है कि काशी की जैन श्रमणपरम्परा का इतिहास बहुत प्राचीन है। आज की मुड़कट्टा बाबा' के नाम से विख्यात जो मूर्ति अवशेष हैं, वह एक कायोत्सर्ग मुद्रा में खण्डित दिगम्बर जैन मूर्ति है। यह मूर्ति दुर्गाकुण्ड भेलूपुरमार्ग पर मुख्य सड़क पर स्थित हैं। बांस फाटक, जिसे आचार्य समन्तभद्र की उस चमत्कारिक घटना के रूप में जैनानुयायिओं द्वारा स्मरण किया जाता है। सारनाथ भगवान् बुद्ध की प्रथम उपदेश - स्थली के रूप में प्रसिद्ध यह स्थल जैन परम्परा के ११ वें तीर्थङ्कर श्रेयांसनाथ के जन्मस्थली के रूप में सम्बद्ध है। इसका पूर्वनाम सिंहपुरी था । जैनमंदिर के निकट एक स्तूप है, जिसकी ऊँचाई १०३ फुट और मध्य में व्यास ८३फुट है। इसका निर्माण सम्राट अशोक द्वारा कराया गया २०. पं. बलभद्र जैन, भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ पृष्ठ १२६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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