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________________ १९२ श्रमणविद्या-३ सतक चुण्णि' (शतक प्रकरण चूर्णि) और सित्तरी चुण्णि (सप्ततिकाचूर्णि')इन तीनों ही चूर्णियों के कर्ता सिद्ध किया है। ये तीनों ही मूलग्रन्थ अज्ञातकर्तृक भी माने गये है। तिलोयपण्णत्ति उपर्युक्त चूर्णिसूत्रों के अतिरिक्त आ. यतिवृषभ द्वारा रचित शौरसेनी प्राकृत भाषा का बहु-प्रसिद्ध महान् ग्रन्थ है-'तिलोयपण्णत्ति' (त्रिलोकप्रज्ञप्ति)। यह ग्रन्थ ९ महाधिकारों और १८० अवान्तर अधिकारों में विभक्त है। इसमें तीन लोक के स्वरूप, आकार-प्रकार, विस्तार, क्षेत्रफल, युगपरिवर्तन, भूगोल एवं खगोल आदि विविध विषयों का विस्तृत विवेचन है। प्रसंगानुसार जैन सिद्धान्त, पुराण, संस्कृति, भारतीय तथा जैन इतिहास विषयक महत्वपूर्ण सामग्री भी इसमें उपलब्ध है। बीच-बीच में बड़ी अच्छी सूक्तियां भी देखने को मिलती हैं। यथा अन्धो णिवडइ कूवे बहिरो ण सुणेदि साधु-उवदेसं । पेच्छंतो णिसुणंतो णिरए जं पडइ तं चोज्जं ।। अर्थात् अन्धा व्यक्ति कप में गिर सकता है, बधिर साध का उपदेश नहीं सुनता, तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं। किन्तु आश्चर्य इस बात का है कि जीव देखता और सुनता भी नरक में जा पड़ता है। ६. आचार्य कुन्दकुन्द और उनका दिव्य अवदानः तीर्थंकर महावीर और गौतम गणधर के बाद की उत्तरवर्ती जैन आचार्यों की विशाल परम्परा में अनेक महान् आचार्यों का नाम श्रद्धापूर्वक लिया जाता है। जिनके अनुपम व्यक्तित्व और कृतित्व से भारतीय चिन्तन अनुप्राणित होकर चतुर्दिक प्रकाश की किरणें फैलाता रहा है, किन्तु इन सबमें अब से दो हजार वर्ष पूर्व युगप्रधान आचार्य कुन्दकुन्द ऐसे प्रखर प्रभापुंज के समान महान् आचार्य हुए, जिनके महान् आध्यात्मिक चिन्तन से सम्पूर्ण भारतीय मनीषा प्रभावित हुई और उसने एक अद्भुत मोड़ लिया। यही कारण है कि इनके परवर्ती सभी आचार्यों ने अपने को उनकी परम्परा का आचार्य मानकर उनकी १. सतक (शतक) प्रकरण चूर्णि, प्रका. श्री वीरसमाज, राजनगर, व. सं. १९७८ २. सित्तरी (सप्ततिका) चूर्णि-श्री मुक्ताबाई ज्ञान मंदिर, डभोई गुजरात वि. सं. १९९९ ३. कसायपाहुडसुत्तः प्रस्तावना पं. हीरालाल शास्त्री पृष्ठ ३८-५२ ४. ती. महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-२ पृष्ठ९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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