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________________ शोभाकार मित्र की काव्यदृष्टि ‘तस्मात्प्रसन्नगंभीरपादरूपगूढाख्यगुणीभूतव्यंग्यभेदस्याभाव एवेति किंबहुना और भी - 'यथा च गुणीभूतव्यंग्यस्य भेदा न सम्भवन्ति तथोक्तमन्यत्रेति तत एवावधार्यम्'' अर्थात् गुणीभूतव्यंग्य के भेद ही सम्भव नहीं हैं। चित्रकाव्य को आनन्दवर्धन ने महाकवियों के काव्य का केवल ‘प्रतिबिम्बकल्प' अथवा 'आलेखप्रख्य अनुकरण' कहा है। वह केवल काव्यानुकार अथवा वाग्विकल्प है। आनन्दवर्धन के मत में ऐसा काव्य हेय हैं । फिर भी रसभावविरहित काव्य का उन्होनें चित्र भेद स्वीकार कर लिया है। इसके विपरीत अभिनवगुप्त ने चित्रकाव्य को अकाव्य ही कहा है। शोभाकर इस प्रकरण में अभिनवगुप्त का अनुसरण करते हुए लिखते हैं'अलंकारो की अलंकारता तभी हैं, जब कोई अलंकार्यतत्त्व भी हो । अलंकार्यतत्व के न रहने पर अलंकार का निबन्धन मात्र शब्दार्थचित्रता है । इसलिए जिन लोगों का यह कथन है कि उपमा आदि अलंकार चित्र हैं, वह उचित नहीं हैं। चित्रकाव्य और अलंकार एक साथ नहीं रह सकते। यदि चित्रता ( रसहीनता) है, तो अलंकार कहाँ रहेगा, वह किसको अलंकृत करेगा और यदि किसी को अलंकृत नहीं करेगा तो उसकी अलंकार संज्ञा ही क्यों होगी और यदि उसकी अलंकार संज्ञा बनती है तो अलंकार्य रसादि भी अवश्य रहेगा। तब रसादि के रहने पर चित्रकाव्य की सिद्धि कैसे होगी । शोभाकर के तर्क में यहाँ बल प्रतीत होता हैं । स्पष्टता के लिए मूलपंक्तियों को उद्धृत करना असमीचीन नहीं होगा— 'तेनालंकार्यसद्भावेऽनुप्रासोपमादेरलंकारव्यपदेश” तदभावे तु शब्दार्थचित्रता। तेन यदुक्तमनुप्रासोपमादयोरलंकाराश्चित्रमिति तदयुक्तम्। चित्रत्वेऽलंकारत्वाभावादलंकारसम्भावनिबन्धनेऽलंकारत्वे चित्रत्वानुपपत्तेः । तत्स्थितमेतदलंकार्याभावे चित्रत्वमन्यत्र त्वलंकारव्यपदेश एवेति । ४ इसी बात को वे संक्षेप में परिकरश्लोक के माध्यम से भी कहते इह मुख्यरसदिसम्भवे स्यादुपमादौ नियमादलंकृतीत्वम् । रसभावविवर्जितस्य चित्रव्यपदेशो न पुनस्तदन्तिकेऽपि ।। वही पृष्ठ८०-९१ । २. वहीं । १. ४. अलंकाररत्नाकर पृष्ठ१९३ । Jain Education International १२३ ३. भारतीयसाहित्यशास्त्र, देशपाण्डे पृष्ठ ३७२ । ५. वही । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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