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________________ ७२ श्रमणविद्या-३ आर्यज्ञान के बल से वे अविद्यमान भी अतीत, अनागत का उसी प्रकार व्याख्यान करते हैं, जिस प्रकार अतीत और निरुद्ध धर्म स्मृति के बल से जाने जाते हैं। स्मृति का विषय सत् नहीं होता-इसे तो सभी बौद्ध स्वीकार करते हैं। ७. वैभाषिक यदि अनागत की सत्ता न होगी तो योगियों का प्रणिधिज्ञान यथार्थ न हो सकेगा। अनागत काल में प्राप्त होनेवाले काय, क्षेत्र, परिवार, गुण आदि योगियों के प्रणिधान के विषय होते हैं। अविद्यमान बन्ध्यापुत्र आदि का तो कोई प्रणिधान नहीं करता? इसलिए अनागत अवश्य सिद्ध है। सौत्रान्तिक-योगियों के प्रणिधान के वश से भी अनागत की सिद्धि सम्भव नहीं है। उत्पाद से पहले अनागत वस्तु स्वरूपतः विद्यमान नहीं हो सकती। यदि अविद्यमान का भी योगियों को प्रत्यक्ष होगा, तो वन्ध्यापुत्र आदि भी उनके प्रत्यक्ष के विषय होने लगेंगे, क्योंकि दोनों का स्वरूपतः असत् होना समान ही है। उनमें से एक का प्रत्यक्ष हो और दूसरे का नहीं, इसमें क्या युक्ति है? अत: अनागत का सद्भाव सिद्ध नहीं है। ८. वैभाषिक यदि अनागत का अस्तित्व न माना जाएगा तो हेतु-प्रत्ययों से वर्तमान का जन्म न हो सकेगा। यदि अनागत अङ्कुर न हो तो कैसे वह बीज से पैदा होगा? यदि अङ्कर बीज से सर्वथा असम्बद्ध हो तो उसे अग्नि इन्धन आदि से भी पैदा हो जाना चाहिए। जो पदार्थ सर्वथा असत् होता है, उसका पहले या पीछे कभी भी उत्पाद सम्भव नहीं है। अन्यथा आपको वन्ध्यापुत्र का भी जन्म मानना पड़ेगा। अत: अनागत का अस्तित्व सिद्ध है। सौत्रान्तिक-यदि अनागत का अस्तित्व माना जाएगा तो फिर उसका पुन: उत्पाद व्यर्थ होगा। विद्यमान के पुन: उत्पाद का कोई प्रयोजन भी नहीं है। यदि विद्यमान का भी उत्पाद माना जाएगा तो हमेशा उत्पाद होते रहने का प्रसङ्ग होगा। यदि अनागत में धर्म विद्यमान है तो यह जगत् पुरुषार्थशून्य और निर्हेतुक हो जाएगा, किन्तु जगत् ऐसा नहीं है। पुरुषकार के अभाव में जागतिक प्रतीत्यसमुत्पाद का भी अभाव हो जाएगा। फलत: समस्त जगत् खरविषाण की भाँति तुच्छ हो जाएगा। फलत: अनागत का अस्तित्व नहीं मानना ही न्यायसङ्गत है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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