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________________ 222) -१३० श्रमणविद्या 218) जं जं खवेदि किट्टि ट्ठिदि-अणुभागेसु केसुदीरेदि । संछुहदि अण्णकिटिं से काले तासु अण्णासु ॥ 219) बंधो व संकमो वा णियमा सव्वेसु टिठदिविसेसेसु । सव्वेसु चाणुभागेसु संक्रमो मज्झिमो उदओ ।। 220) संकामेदि उदोरेदि चावि सम्वेहि द्विदिविसेसेहि। किट्टीए अणुभागे वेदेंतो मज्झिमो णियमा ॥ 221) ओकड्डदि जे अंसे से काले किण्णु ते पवेसेदि । ओकड्डिदे च पुत्वं सरिसमसरिसे पवेसेदि । उक्कड्डदि जे अंसे से काले किण्णु ते पवेसेदि। . उक्कड्डिदे च पुव्वं सरिसमसरिसे पर्वसेदि ॥ 223) बंधो व संकमो वा तह उदयो वा पदेस-अणुभागे। बहुगत्ते थोवत्ते जहेव पुव्वं तहेवेण्हि ।। 224) जो कम्मसो पविसदि पओगसा तेण णियमसा अहिओ। पविसदि ठिदिक्खएण दु गुणेण गणणादियंतेण ।। 225) आवलियं च पविठं पओगसा णियमसा च उदयादी। उदयादिपदेसग्गौं गुणेण गणणादियंतेण ।। 226) जा वग्गणा उदीरेदि अणंता तासु संकमदि एक्का । पुवपविट्ठा णियमा एक्किस्से होति च अणंता ।। 227) जे चावि य अणुभागा उदीरिदा णियमसा पओगण । तेयप्पा अणुभागा पुव्वपविट्ठा परिणमंति ॥ 228) पच्छिम-आवलियाए समयूणाए दु जे य अणुभागा। उक्कस्स-हेट्ठिमा मज्झिमासु णियमा परिणमंति ।। 229) किट्टीदो किट्टि पुण संकमदि खयेण किं पयोगेण । कि सेसगम्हि किट्टीय संकमो होदि अण्णिस्से ॥ 230) किट्टीदो किट्टि पुण संकमदे णियमसा पओगेण । किट्टीए सेसगं पुण दो आवलियासु जं बद्धं ॥ .. संकाय-पत्रिका-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014029
Book TitleShramanvidya Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1988
Total Pages262
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size9 MB
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