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________________ जैनविद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन १३. नाथूसाह ये आगरा के रहने वाले धनी जैन महाजन थे । अंग्रेजों के साथ व्यापार करने के उद्देश्य से दो या तीन साल तक सूरत (गुजरात) जाकर रहे । अंग्रेजों ने इनको सर्राफ के रूप में मान्यता प्रदान करके पुनः आगरा भेज दिया । सन् १६१९ ई. में ये आगरा में अंग्रेजों के सर्राफ का कार्य करने लगे । व्यापार के सन्दर्भ में इनको गुजरात के नगरों अहमदाबाद आदि स्थानों पर भी जाना पड़ता था। अक्सर ये सम्राट के साथ अंग्रेजों के प्रतिनिधि के रूप में यात्रा करते थे । सन् १६१० ई० के विज्ञप्तिपत्र में इनका नाम भी सम्मिलित है।४६ १४. भीमजी __ ये आगरा के रहने वाले धनी जैन महाजन (बैंकर) थे। इनका घनिष्ठ संबंध प्रसिद्ध जैन व्यापारी वीरजी बोरा से भी था। इन्होंने अंग्रेज कम्पनी की आगराशाखा को ३००० रुपये का ऋण सन् १६२८ ई. में दिया था। ये अक्सर व्यापार के उद्देश्य से आगरा के बाहर अन्य प्रसिद्ध व्यापारिक नगरों में भी जाया करते थे। कुछ समय पश्चात् इन्होंने अंग्रेजों को ऋण पर आर्थिक सहायता देना बन्द कर दिया था तथा वीरजी बोरा के ही समर्थक बने रहे । सन् १६१० ई. के आगरा के विज्ञप्तिपत्र में इनका नाम सम्मिलित है।४८ १५. कासीदास ये सम्भवतः आगरा के ही रहने वाले धनी जैन व्यापारी थे। ये, उस समय के सबसे धनी जैन व्यापारी वीरजी बोरा, के प्रतिनिधि (वकील) के रूप में आगरा रहते थे। बोरा की व्यापारिक शाखाएँ आगरा, बुरहानपुर, सूरत, गोलकुण्डा आदि स्थानों पर फैली हुई थी। कासीदास जी आगरा में रहकर अंग्रेजों के साथ वीर जी बोरा की ओर से सम्बन्ध बनाये रखते थे तथा दूसरी ओर वीर जी बोरा की ओर से मुगल दरबार से भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध कायम रखते थे। व्यापार के सन्दर्भ में, इनको ४४. 'इंग्लिश फैक्ट्रीज इन इंडिया' प्रथम भाग (१६१८-२१) पृष्ठ ९१ । ४५. वही, पृष्ठ ९१ । ४६. प्राचीन विज्ञप्तिपत्र, पृष्ठ २५ । ४७. विलियम फोस्टर, इंग्लिश फैक्ट्रीज इन इण्डिया, तृतीय भाग १६२४-२९ (आक्सफोर्ड, १९०९) पृष्ठ २७१।। ४८. प्राचीन विज्ञप्तिपत्र, पृष्ठ २५ । परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014026
Book TitleJain Vidya evam Prakrit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1987
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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