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________________ आभार प्रबन्ध सम्पादक की ओर से .. ॐ अर्हन्तसिद्धसाधुभ्यो नमः जिन-शासन के नायक चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जन्म जयन्ती के पावन पर्व पर महावीर जयन्ती स्मारिका का 44 वाँ अंक आपके समक्ष सहर्ष प्रस्तुत है । स्मारिका के 44 वें अंक के प्रबन्ध सम्पादक के गुरुतर भार को वहन करने के लिए गत वर्षों की निरन्तरता में मुझे पुनः अवसर दिये जाने के निर्णय के प्रति मैं, राजस्थान जैन सभा की कार्यकारिणी का आभार व्यक्त करता हूँ। स्मारिका के द्वारा जैन धर्म एवं भगवान महावीर के सन्देशों आदि को सरल सारगर्भित भाषा अधिकाधिक प्रबुद्ध सुधी पाठकों की रुचि अनुसार उन तक पहुँचाने में पठनीय सामग्री के चयन करने श्रम साध्य कार्य करने के लिए हमारे परामर्शदाता श्री ज्ञानचन्दजी बिल्टीवाला, प्रधान सम्पादक डॉ. प्रेमचन्दजी रांवका एवं उनके सहयोगी श्री महेशचन्दजी चाँदवाड़ और डॉ. जे. डी. जैन के योगदान के लिए इन सबका आभार । स्मारिका का मुद्रण आर्थिक उपलब्धता पर निर्भर करता है और इसकी उपलब्धता ही इसके निरन्तर आकर्षक रूप में प्रकाशित होते रहने का आधार है। स्मारिका में प्रकाशित विज्ञापनों की प्राप्ति Jain Education International को लक्ष्यानुसार गति देने के कार्य में गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी सभा अध्यक्ष श्री महेन्द्रकुमारजी जैन पाटनी का यथासमय सम्पूर्ण मार्गदर्शन, सहयोग एवं साथ हर प्रकार से मुझे स्नेह सहित बराबर मिलता रहा है। इस क्रम में पूर्व की भाँति श्री पाटनीजी ने विज्ञापन दाताओं, विज्ञापन प्रदाताओं से सम्पर्क साधने में अपने व्यस्ततम समय में से समय दिया, हम साथ-साथ कई स्थानों पर गये, इस मूल्यवान सम्पूर्ण सहयोग के लिए मैं उनका अत्यन्त आभार माता हूँ। मंत्री श्री कमलबाबूजी, ने स्वयं के स्तर से प्रयास करके यथासमय विज्ञापन जुटाकर सहयोग दिया। इसके लिए इनका एवं सभा के अन्य पदाधिकारियों व श्री अरुणजी कोड़ीवाल से मिले सहयोग के लिए उन सबका आभार व्यक्त करता हूँ। श्री प्रेमचन्दजी छाबडा उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ साथी श्री प्रकाशचन्दजी ठोलिया का पूर्व वर्षों की भाँति ही पूरा-पूरा सहयोग मुझे मिला है। इसके लिए आभारी हूँ । स्मारिका में बड़ी राशि के विज्ञापन देने वालों में श्री गणेशजी राणा, श्री अशोकजी पाटनी किशनगढ, श्री विवेकजी काला, श्री नरेशचन्दजी जैन, श्री प्रदीपजी जैन, श्री अनिलजी सोनी, महावीर जयन्ती स्मारिका 2007 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014025
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 2007
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year2007
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size11 MB
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