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________________ 800000 टोडरमलजी के कुछ अप्रकाशित पद " विद्वान् लेखक ने पने निबंध में प्रस्तुत पदों को 'मोक्ष मार्ग प्रकाशक' प्रादि ग्रन्थों के रचनाकार विख्यात प्राचार्यकल्प पंडित टोडरमलजी द्वारा रचित होने की संभावना व्यक्त की है वह तो हमारे विचार में ठीक नहीं ज्ञात होती क्योंकि रचनाकार ने अपने को एक पद (सं. 7) में टोडरू ब्रह्म कहा है । ऐसे प्रयोग भट्टारकों के नीचें काम करने वाले पंडित ही प्राय: किया करते थे। संभव है इन पदों के रचनाकार भी ऐसे ही कोई पण्डित हों जो अब तक अज्ञात हों। यह हमारा अनुमान ही है। पदों की भाषा, सरसता, लालित्य श्रादि को देखते हुए निश्चय हो रचनाकार जैन हिन्दी साहित्य में उच्च स्थान पाने योग्य है । पाठक इस श्रोर और खोज करेंगे इस पवित्र भावना के साथ - - पोल्याका प्रस्तुत आठ आध्यात्मिक पद अनुसंधित्सु पाठकों की सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूं । ये सभी द टोडरमलजी द्वारा रचित हैं जैसा कि इन पदों की अंतिम पंक्तियों में उल्लिखित नामों से लीभांति विदित होता है । यह निश्चय करना वडा कठिन हो रहा है कि प्रस्तुत पद किन डरमलजी के रचे हुए हैं। क्योंकि टोडरमल नाम के कई विद्वान जैन साहित्य जगत में ल्लेखनीय हैं । श्री कुन्दनलाल जैन प्रिन्सिपल 68, कुन्ती मार्ग, विश्वास नगर, शाहदरा, दिल्ली-32 'मोक्षमार्ग प्रकाशक' के रचयिता टोडरमलजी तो सर्व विख्यात हैं ही । यदि ये पद उन्हीं द्वारा चित हैं तब तो निश्चय ही गीति साहित्य की ये बहुमूल्य निधियां हैं पर यदि इन पदों के रचयिता कोई और टोडरमल हैं तो निश्चय ही अनुसंधित्सु पाठकों के लिए ये खोज का विषय बन जाते हैं और ऐसे योग्य कलाप्रेमी भावप्रवीरण आध्यात्मिक गीतकार जीवन परिचय का अन्वेषण कर साहित्य गतको बहुमूल्य सामग्री से सुपरिचित कराया जावे । Jain Education International मेरे पास इस तरह की रचनाओं का अच्छा खासा संग्रह है । एक दिन उन्हें उलट पलट रहा तभी अचानक इन पदों पर दृष्टि पड़ गई। तभी श्री पोल्याकाजी का ' स्मारिका' के लिए लेख जने हेतु पत्र प्राप्त हुआ था । जिसमें आग्रह किया गया था कि जयपुर से संबंधित किसी प्राचार्य या बना से संबंधित लेख भिजवा सकें तो अति उपयुक्त होगा । मैं श्री पोल्याकाजी के आग्रह के प्रति वीर जयन्ती स्मारिका 78 2-139 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014024
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1978
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1978
Total Pages300
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size7 MB
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