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________________ ग्रा भा र प्र द 석, 이 र्श न भगवान महावीर के पावन संदेश तथा जैन संस्कृति, साहित्य, कला आदि से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी जैन तथा जैनेतर जनता तक पहुंचाने में राजस्थान जैन सभा, जयपुर द्वारा महावीर जयन्ती के पावन पर्व पर प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाली इस स्मारिका का स्थानीय ही नहीं अपितु सारे भारत में अपना विशिष्ट स्थान है । स्मारिका की जो गरिमा प्राज हमारे सामने हैं, इसका वर्तमान में श्र ेय पं० भंवरलालजी पोल्याका जैनदर्शनाचार्य को है । यद्यपि अस्वस्थ है और कड़ी महनत ग्रापके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है फिर भी जिनवाणी की सेवा की लग्न होने के नाते आप इस स्मारिका के लिए अथक बौद्धिक एवं शारीरिक श्रम कर रहे हैं । इस कार्य के लिए समाज आपका सदैव ऋणी रहेगा । किसी भी प्रकार के प्रकाशन कार्य के लिए वित्त' एक अनिवार्य सभा यह कार्य विज्ञासंग्रह का कार्य इस वर्ष भी निभाने का शक्तिभर प्रयत्न साधन है । इसके बिना यह कार्य सम्भव नहीं लगता पनों के माध्यम से करती है । सभा ने विज्ञापन मेरे कंधों पर डाला । मैने इस उत्तरदायित्व को किया है और उसका फल आपके सामने है । विज्ञापन समिति के सदस्यों के अतिरिक्त उन सभी विज्ञापनदाताओं का व्यक्तिशः आभारी हूं जिन्होंने मुझे उत्साहित कर इस प्रकाशन को सफल बनाने में सहयोग दिया है। इसके साथ ही मैं सभा के अध्यक्ष श्री राजकुमारजी काला एवं सभा के मंत्री श्री बाबूलालजी सेठी व मेरे अन्य साथियों जिनके नाम का यहाँ उल्लेख नहीं है -का भी अत्यन्त श्राभारी हूं जिनके अथक प्रयास और सहयोग से मैं यह कार्य कर सका। मेरे इस कार्य में मुझ से यदि कोई भूल हो गई हो तो आप उदार हृदय से मुझे क्षमाकर श्रनुगृहीत करेंगे । अन्त में सभा के इस कार्य को भविष्य में भी आपके उत्तम सहयोग की कामना रखते हुए सभी का हृदय से धन्यवाद अर्पित करता हूँ । अभिवादन सहित, Jain Education International For Private & Personal Use Only रमेश गंगवाल संयोजक विज्ञापन समिति www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
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