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________________ SOSSAS ASSASASTAISUS ASASCHSANAAAAHANGOSSASAHAHAAAAASSANDRS ROSINAASAASAASAASAASAASAASAHAAHAN नर, नारायण बना तोड़कर कर्मों की जंजीर * श्री कल्याण कुमार जैन, शशि, रामपुर पारमा का साक्षात्कार, अपरिग्रह में मिलता है सत्य अहिंसा संयम, इस सुख की प्राधारशिला है यही अमरता के पथ पर जीवन को ले चलता है इसी तपोवन में प्रात्मा का प्रमर फूल खिलता है परिणामों का पुष्ट परिरमरण गुरण ग्राहक गम्भीर । अन्तर्मुख निर्मल प्रात्मा को पहिचाने प्रतिवीर ॥ संयम निष्कलंक जीवन परमेष्ठी पद का वाता ये ही महंत के माध्यम से मुक्ति तलक पहुँचाता जन्म मरण के चक्रव्यूह से संयम पिण्ड छुड़ाता यही कसोटी मानव की उज्ज्वल भविष्य निर्माता नर नारायण बना तोड़कर कर्मों की जंजीर । अन्तर्मुख निर्मल आत्मा को पहिचाने प्रतिवीर ।। निर्विकल्प अस्तेय अहिंसा, पूर्ण मनोबल द्वारा शिव पथ पर बहने लगती है आत्म गंगा की धारा फिर न अभीप्सित रहते, मन्दिर मस्जिद मठ गुरुद्वारा इसमें सिद्धावस्था का दिखता अनन्त उजियारा अपने में दिखने लगती है अपनी ही तस्वीर । अन्तर्मुख निर्मल प्रात्मा को पहिचाने प्रतिवीर ।। सांसारिक व्यापूर्ति हमें अपने पन में उलझाती अपने भ्रष्ट-नियन्त्रण से यह आत्मा को बहकाती छीन हमारा अन्तबल अपना स्वामित्व जमातो इस प्रकार यह प्रारणो को नित निरुद्देश्य भरमाती मुक्ति मार्ग अवरुद्ध किये रहती इसकी प्राचीर । अन्तर्मुख निर्मल प्रात्मा को पहिचाने प्रतिवीर ।। MONUMUUWUS WEGGEWEEGSCOGS BODOWNowwODDDDDESIDDOOODOODoosvocacaosa 3-12 महावीर जयन्ती स्मारिका 77 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
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