SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खारवेल का हाथी गुम्फा वाला लेख जैन इतिहास की दृष्टि से ही नहीं भारतीय इतिहास की दृष्टि से भी बड़ा महत्वपूर्ण । यह अब तक प्राप्त शिलालेखों में प्राचीनतम है। विद्वानों को इसके ठीक-ठीक पढ़ने में हों सौ वर्ष का दीर्घ काल लगा । धन्य हैं वे लोग जिन्होंने इतना श्रम साध्य कार्य सम्पन्न किया । उसी महत्वपूर्ण लेख की संस्कृत छाया और हिन्दी अनुवाद भी नीरज श्रौर डॉ. अग्रवाल ने मिल कर बड़े परिश्रम से तैयार किया जिसे पाठक स्मारिका के गर्ताांक में पढ़ चुके हैं। उसी कड़ी में यह निबन्ध है । विद्वान् लेखकों ने कड़े परिश्रम द्वारा कई पुष्ट प्रमाणों से खारवेल का राज्यारोहण काल ईसा पूर्व प्रथम शती के अन्तिम चरण में 20 ईसा पूर्व के आसपास सुनिश्चित किया है। प्र. सम्पादक खारवेल की तिथि * श्री नीरज जैन, एम. ए., तथा डॉ. कन्हैयालाल अग्रवाल, सतना दो हजार वर्ष प्राचीन हाथीगुम्फा प्रभिलेख खण्डगिरि उदयगिरि पर्वत के दक्षिण की श्रोर लाल बलुवे पत्थर की एक चौड़ी प्राकृतिक गुहा में उत्कीर्ण है । इसमें सत्रह पंक्तियां हैं। यह प्रभिलेख पहली बार स्टलिंग द्वारा 1820 ई० में प्रकाश में आया । तब से 1927 ई० तक इसके संशोधित पाठ समय-समय पर प्रकाशित होते रहे । इस प्रकार पुरातत्त्ववेत्ताओं को विवेच्य प्रभिलेख पढ़ने और समझने में लगभग एक शती ( 1820 ई० से 1927 ई०) का दीर्घकाल लगा । इस अभिलेख में कलिंग चक्रवर्ती जैन सम्राट खारवेल के व्यक्तित्व और शासनकाल की घटनाओं का विस्तृत परिचय दिया गया है । इसकी एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें खारवेल के शासन के प्रतिवर्ष की घटनामों का उल्लेख किया गया है जिसका वर्णन हम महावीर जयन्ती स्मारिका, 1975 में प्रकाशित अपने 'हाथीगुम्फा अभिलेख की विषयवस्तु' शीर्षक लेख में कर चुके हैं। लेख शृंखला की दूसरी किश्त महावीर जयन्ती स्मारिका 196 में 'खारवेल का हाथीगुम्फा प्रभिलेख' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी । इस लेख में शिलालेख का मूलपाठ संस्कृतच्छाया और हिन्दी अनुवाद दिया गया था । उसी क्रम में यह तीसरा शोध लेख प्रस्तुत है जिसमें खारवेल की राज्यारोहण तिथि पर विचार किया गया है । Jain Education International प्राचीन भारतीय इतिहास की सम्पूर्ण समस्याओंों में शासकों की तिथियां अत्यन्त विवादास्पद हैं । इसका मुख्य कारण साहित्यिक या पुरातात्त्विक सामग्री में संवत् आदि का उल्लेख न होना ही है । अनिर्णीत तिथियों की इसी श्रृंखला में खारवेल की तिथि भी है। हाथीगुम्फा अभिलेख से खारवेल के जीवनचरित पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है । अभिलेख उसके जीवन की प्रतिवर्ष की महावीर जयन्ती स्मारिका 77 For Private & Personal Use Only 2-37 www.jainelibrary.org
SR No.014023
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1977
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1977
Total Pages326
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy