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________________ दर्शन - दिग्दर्शन स्वामी रामाश्रम प्रश्न- दर्शन से आप क्या समझते हैं ? उत्तर - दर्शन शब्द का प्रयोग तीन प्रकार से होता है १ - प्रत्येक विज्ञान से सम्बन्धित उसके नाम का दर्शन भी होता है जैसे समाज विज्ञान तथा समाजविज्ञान दर्शन, धर्मविज्ञान तथा धर्मदर्शन । २ - विज्ञान का विषय तथा उसका दर्शन । ३- दर्शन का दर्शन । ( १ ) प्रथम विभाजन में दर्शन शब्द का अर्थ है जिस विषय का वह विज्ञान है, उस विषय का जीवन से जो सम्बन्ध है उसका विश्लेषण । जैसे धर्म का विज्ञान, धर्म का दर्शन | धर्म का विज्ञान - धर्मों की उत्पत्ति, अनेक धर्मों का वर्गीकरण, धर्म द्वारा किन्ही सत्य सिद्धान्तों तक पहुँचना या उसकी प्राप्ति, उसमें यदि विकास होता हैं तो उसका निरूपण, एक धर्म का दूसरे धर्म से तुलनात्मक अध्ययन, धर्मविज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध, धर्म का इतिहास तथा धर्मविज्ञान का इतिहास इसी प्रकार धर्म का मनोवैज्ञानिक अध्ययन आदि आता है । धर्म का दर्शन - मानव जीवन में धर्म का क्या उद्देश्य है, मानव में किसी प्रकार का कोई लक्ष्य है, जिसकी प्राप्ति अनिवार्य है ? यह लक्ष्य एवं इसकी प्राप्ति, इस समस्त जगत ( सजीव एवं निर्जीव ) में जो कुछ भी हो रहा है उससे क्या सम्बन्ध है ? समस्त जगत की क्रियायें तथा उसका संगठन किस प्रकार और किस अंश में उस लक्ष्य के बाधक या साधक या किसी अंश में साधक या किसी अंश में बाधक हैं। मनुष्य जीवन का सृष्टि में क्या स्थान है, यह सब धर्म दर्शन के विषय हैं (२) द्वितीय विभाजन में विज्ञान का विषय हैं समस्त अनुभूतियाँ, जो मनुष्य के लिए सम्भव हैं और उनका परस्पर समन्वय एवं सामञ्जस्य है । इसको विज्ञान i सत्य कहता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only परिसंवाद - ३ www.jainelibrary.org
SR No.014014
Book TitleBharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadheshyamdhar Dvivedi
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages366
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size21 MB
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