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________________ भूमिका प्रो० जगन्नाथ उपाध्याय क - व्यष्टि एवं समष्टि की समस्या १. बौद्धदर्शन, व्यक्ति, समाज और उसके सम्बन्ध २. बौद्धदृष्टि में व्यक्ति, लोक तथा सम्बन्ध विषयसूची प्रो० जगन्नाथ उपाध्याय ३. बौद्धदर्शन को दृष्टि से व्यक्ति एवं समाज प्रो० रामशङ्कर त्रिपाठी ४ बौद्धविनय को दृष्टि में व्यष्टि एवं समष्टि प्रो० समदोङ रिनपोछे तथा आचार्य सेम्पा दोर्जे ५. प्राचीन बौद्धों की दृष्टि में व्यष्टि एवं समष्टि प्रो० महेश तिवारी ६. व्यष्टि और समष्टि : बौद्धदर्शन के परिप्रेक्ष्य में प्रो० रामचन्द्र पाण्डेय ७. व्यष्टि और समष्टि : बौद्धदर्शन की दृष्टि डॉ० राजेन्द्र पाण्डेय ८. बौद्धविचारों की दृष्टि में व्यक्ति और समाज और उनका सम्बन्ध प्रो. कृष्णनाथ ९. व्यष्टि और समष्टि : बौद्धदर्शन के परिप्रेक्ष्य डॉ० सिद्धेश्वर भट्ट १०. व्यक्ति और समाज Jain Education International - एक विवेचन --- प्रो० समदोङ् रिम्पोछे ११. व्यक्ति और समाज का सम्बन्ध और उसका विकास पं० आनन्द झा १२. विमलकीर्ति निर्देशसूत्र के अनुसार व्यष्टि एवं समष्टि का सम्बन्ध प्रो० लालमणि जोशी १३ बौद्ध दर्शन की दृष्टि से व्यक्ति, समाज और उनका सम्बन्ध श्री हरिशंकर सिंह १४. बौद्धदर्शन की दृष्टि से व्यष्टि और समष्टि डॉ० गोपिकामोहन भट्टाचार्यं For Private & Personal Use Only पृ० ओ-ट ३-२११ ३-४ ५-१४ १५-२५ २६-३७ ४१-४५ ४६-५५ ५६-६२ ६३-६७ ६८-७१ ७२-७५ ७६-७८ ७९-८७ ८८- ९३ ९४-९७ www.jainelibrary.org
SR No.014013
Book TitleBharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadheshyamdhar Dvivedi
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1981
Total Pages386
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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