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________________ व्यष्टि एवं समष्टि के सन्दर्भ में ब्रह्मविहार, बोधिचित्त और ज्वलिता चण्डाली १४९ "मैत्रीकरुणामुदितोपेक्षायां सुखःदुखपुण्यापुण्यविषयाणां भावनातश्चित्तप्रसादनम्" (योगदर्शनसमाधिपाद सू० ३३)। यह चित्त स्थिति वैयक्तिक होते हुए भी समाज के बहुजनसुखाय, बहुजनहिताय और परोपकाराय है। यह लौकिक दष्टि से बहुत ही कठिन है। मैत्री की भावना उच्चकोटि में बोधिसत्त्वचर्या में शामिल हुई है। जिसका व्याख्यान बोधिचर्यावतार और शिक्षासमुच्चय आदि महायान सूत्रों में स्पष्ट किया गया है। बोधिचित्त सुत्तनिपात में इस प्रकार बुद्धवचन है माता यथा नियं पुत्तं आयुसा एकपुत्तमनुरक्खे । एवं पि सब्बभूतेसु मानसं भावये अपरिमाणं ॥ __ (१८१७ सुत्तनिपात) शिक्षासमुच्चय में भी यथापि नाम श्रेष्ठिनो वा गृहपतेर्वा एकपुत्रके गुणवति मज्जागतं प्रेम, एवमेव महाकरुणाप्रतिबद्धस्य बोधिसत्त्वस्य मज्जागतं प्रेमेति । (१६ परि० पृ० २८७) फिर, प्रश्नोत्तर में मैत्री और करुणा का स्पष्टीकरण है-कतमा बोधिसत्त्वानां महामैत्री । आह । यत् कायजीवितं च सर्वकुशलमूलं च सर्वसत्त्वानां निर्यातयन्ति, न च प्रतिकारं कांक्षन्ति। ___ कतमा बोधिसत्त्वानां महाकरुणा यत्पूर्वतरं सत्त्वानां बोधिमिच्छन्ति नात्मन इति। सनात्महेतोः शीलं रक्षति, न स्वर्गहेतोः, न शत्रुत्वहेतोः, न भोगहेतोः, नैश्वर्यहेतोः, न रूपहेतोः, न वर्णहेतोः, न यशहेतोः, न निरयभयभीतशीलं रक्षति । बोधिसत्त्व सर्वसत्त्वार्थसिद्धि के लिए इस प्रकार की प्रतिज्ञा लेता है। सर्वलोक के सर्वजीव का सर्वप्रकार दुःख हट जाय । विकलेन्द्रिय, अंगहीन, सत्त्वों की सकल इन्द्रिय पूरी बन जाय । बीमार, दुर्बल, क्षीणकाय सत्त्व स्वस्थ हो जाएँ । राजा, चौरादि से भयभीत विपन्न सत्त्वों के व्यसनगतदुःख हट जाएँ । जो लोग अत्याचार से युक्त, बन्धनबद्ध, पीड़ित, दुर्गतिदारुण शोकप्राप्त है वे सब अपनेअपने दुःख, संताप, पीड़ा से मुक्त हो जाएँ। भूखों को भोजन मिले, प्यासे को पीने को पानी मिले, अन्धों को दृष्टि मिले, नंगों को कपड़ा मिले, वधिर को सुनने की शक्ति परिसंवाद-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014013
Book TitleBharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadheshyamdhar Dvivedi
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1981
Total Pages386
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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