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________________ बौद्धदर्शन की दृष्टि से व्यष्टि और समष्टि डॉ० गोपिकामोहन भट्टाचार्य दर्शन जीवन सम्बन्धी चिन्तन का नाम हैं। इसमें ऐहिक और पारलौकिक जीवन का विचार किया जाता है। भारतीय दर्शन में प्रारम्भिक काल से ही जीवन के विविध पक्षों पर विचार किया जाता रहा है। बौद्ध दर्शन भी इसका अपवाद नहीं है। यहाँ भी व्यक्ति, समाज, उनके सम्बन्ध और विकास पर विचार किया गया है। बौद्ध विचारधारा के विविध सम्प्रदाय हैं। उनमें व्यक्ति के स्वरूप पर भिन्नभिन्न प्रकार से विचार किया गया है। कोई भी बौद्ध सम्प्रदाय शाश्वत आत्मा की सत्ता को स्वीकार नहीं करता। वस्तुतः रूप, विज्ञान, वेदना, संज्ञा और संस्कार ये पञ्चस्कन्ध ही समस्त जड़ चेतन जगत के मूल हैं। इन्हों के आधार पर व्यक्ति के अस्तित्व की प्रकल्पना की जा सकती है। किन्तु व्यक्ति इन पर आधारित इनसे भिन्न कोई परमार्थ सत् वस्तु नहीं है। यद्यपि कुछ बौद्धों ने पुद्गल नाम से व्यक्ति के एक रूप को कल्पना की थी, तथापि विद्वानों का विचार है कि वह केवल वात्सीपुत्रीय वैभाषिकों का मन्तव्य है। परवर्ती बौद्ध विद्वानों ने उसे बुद्ध सम्मत नहीं माना। इसी प्रकार बौद्ध दर्शन में व्यक्ति के लिये सत्त्व शब्द का भी प्रयोग किया गया है। वस्तुतः बुद्ध की दृष्टि से यह पुद्गल या सत्य के एकत्व की भावना विकल्पमात्र है। वहाँ व्यक्ति की व्यावहारिक सत्ता तो स्वीकार की गयी है किन्तु पारमार्थिक सत्ता नहीं । पाँच रूपादि स्कन्धों में ही सत्त्व, व्यक्ति या पुद्गल आदि की दृष्टियाँ की जाती हैं । बुद्ध ने स्वयं कहा है "यथोक्तं भगवता ये केचिद् भिक्षवः श्रमणा वा ब्राह्मणा वा आत्मेति समनुपश्यन्तः समनुपश्यन्ति इमानेते पञ्चोपादानस्कन्धानिति (प्रज्ञाकरमति, बोधिचर्यावतारपञ्चिका, (एशियाटिक सोसाइटी, कलकत्ता, १९०१), पृ० ४८८) जिस प्रकार उदकाहरण आदि कार्य करने के कारण रूपादि ही घट कहलाते हैं-घट इत्यपि रूपादय एवैकार्थक्रियाकारिणस्तथा व्यपदिश्यन्ते (न्यायवात्तिकतात्पर्य टीका परिसंवाद-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014013
Book TitleBharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRadheshyamdhar Dvivedi
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1981
Total Pages386
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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