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________________ वैशाली का प्रजातन्त्र 49 वैशाली-संघ के सामने काम आदमी प्राचीन इतिहास के सहारे नहीं जी सकता। प्राचीन इतिहास का काम है हमें उत्प्रेरित करना। वह प्रेरणा हमें मिलती रहेगी। वैशालीगण को आज हमें नये रूप में उज्जीवित करना चाहिये / हमें कम-से-कम रत्ती परगने तक को संघ का कार्य-क्षेत्र बनाना चाहिये-रत्ती भी, मैं समझता हूँ, लत्ती<नत्ती, ज्ञातृ का ही अपभ्रंश रूप है / रत्ती परगने में लिच्छवियों की जनतंत्रता और स्वातन्त्र्य प्रेम के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक नवनिर्माण को हाथ में लेना चाहिये। वैसे तो सारे देश में उद्योगीकरण और कृषि के आधुनिक ढंग पर नवनिर्माण को छोड़ कर दूसरा कोई रास्ता नहीं है। हमारा जीवनस्तर बेतरह गिरा हुआ है, और ऊपर से पचास लाख खानेवाले मुखों की प्रतिवर्ष वृद्धि बड़ी ही भयंकर स्थिति पैदा कर रही है / संघ को इस नवनिर्माण को अपने हाथ में लेकर पथ-प्रदर्शन करना चाहिये। __ यह ठीक है कि इस काम में तब तक सफलता नहीं हो सकती, जब तक सरकार पूरी तरह से सहायता देने को तैयार नहीं है। लेकिन सरकार की सहायता भी उतनी लाभदायक नहीं होगी, यदि उसे काम में लाने के लिए जनता को तैयार नहीं किया जायगा। मैं समझता हूँ शिक्षा और संस्कृति के कामों के लिए आपके पास बड़ी-बड़ी योजनाएं हैं, जिनमें कई लाखों का खर्च है। लेकिन यदि इस खर्च के लिए आप सिर्फ सरकारी सहायता और बाहरवालों के दान पर भरोसा रखेंगे और यदि वह आप को प्राप्त भी हो गया, तो भी उससे जनता का बहुत दूर तक आप फायदा नहीं कर सकेंगे। इसके लिए आर्थिक नवनिर्माण ही सबसे अच्छा ढंग है। रत्ती परगना में कोई पहाड़ नहीं और न किसी प्रकार के खनिज पदार्थ की ही सम्भावना है। यहां अनाज, ऊख, कपास, तेलहन, मछली, अंडी-कीड़ा के उत्पादन और उन पर आधारित उद्योग-धंधों को बढ़ाया जा सकता है। खेती की उपज बढ़ाने के लिए सिंचाई और उसके लिए पानी को प्रचुर परिमाण में सुलभ करना होगा। यह काम बिजली या तेल से चलनेवाले पम्पों से ही हो सकता है। यहां सरकारी सहायता अनिवार्यतया आवश्यक है। पानी बारहों महीना हमारी धरती के नीचे बह रहा है। हमें बारहों महीना उसे धरती के ऊपर ला रखने का प्रबन्ध करना है, जो कि आज के यान्त्रिक युग में बिलकुल आसान है। यदि हर खेत के लिए हर वक्त पानी सुलभ हो और खाद भी मिल सके, तो हम हर वक्त खेत में फसल तैयार रख सकते हैं और पैदावार को दुगुना-चौगुना नहीं, दस गुना बढ़ा सकते हैं। खेती में किसान को पूरा श्रम करने और उसका फल प्राप्त करने के लिए जमींदारी और सूदखोरी के चंगुल से बचाना है / लेकिन इतने से ही हमारा अभीष्ट पूरा नहीं हो सकता। खेतों के जोतने और खोदने में कुछ हद तक यंत्रों की आवश्यकता है। उदाहरणार्थ मोटरहल (ट्रेक्टर) से एक बार गहरी जोताई कर देने से तीन साल तक खेत घास से पाक हो जाता है और पौधे की जड़ भी अधिक नीचे तक पहुँच, पृथिवी की
SR No.012088
Book TitleVaishali Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogendra Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa
Publication Year1985
Total Pages592
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size17 MB
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