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________________ 16 Hamage to Vallan. . 'कौमुदी महोत्सव' इस तरीके का एक और प्राचीन ऋतु-उत्सव है, जो शरत् काल के "मागम में भारत के नाना प्रान्तों में बहुत प्राचीन काल से होता हुआ चला आ रहा है। उत्तर-पश्चिम भारत के नाना स्थानों में रामलीला के अनुष्ठान और पार्षिकोत्सव एवं कृष्णलीला और विष्णु-पूजा के साथ नाना उत्सव और पर्व अभी भी इतने सुपरिचित और प्रचलित है जिनका वर्णन करना निरर्थक है। हम सभी जानते हैं कि इन सारे धार्मिक उत्सवों ने जातीय जीवन को अपने उज्ज्वल वर्ण और रस से जीवित रखा है। परन्तु आज मैं इन सारे जातीय उत्सवों का वर्णन करने ओर इतिहास की माला बनाने के लिए यहां नहीं आया हूँ। हमारे ये सब धार्मिक उत्सव और पर्व दरिद्रता, आर्थिक दुर्दशा एवं राजनीतिक अन्याय के कारण अब प्रभाहीन, वर्णहीन और प्राणहीन हो चले हैं। बहुत से क्षेत्रों में हमारे अनेक उत्सव, केवल अति प्राचीन होने के कारण बिलकुल जीणंशोणं हो गये हैं और अपनी लोकप्रियता खो रहे हैं। .. ____ इन सारे पर्वो के अन्दर फिर से एक नवजागरण की सृष्टि करना बहुत ही जरूरी है-उनके साथ वर्तमान भारतीय जीवन की मनोमावनाओं को संयुक्त करना अत्यन्त आवश्यक है। हमारे नवीन जीवन के रास्ते में जो पूरे ताल के साथ चल सकेंगे, हमारी वर्तमान मनोभावनाओं का जो सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व कर सकेंगे, वे पर्व ही काल की इस कठोर चट्टान पर टिक सकेंगे और इसी.उपाय से प्राचीन पर्वो में नवीन जीवन लाया जा सकेगा। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ के शान्तिनिकेतन में बहुत से नवीन उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाये जाते हैं, जिनमें वहाँ के छात्र और अध्यापकमण बहुत ही उत्साह के साथ शरीक होते हैं। इनमे एक का नाम 'वृक्षरोपण उत्सव', एक का नाम 'हलचालन उत्सव', एक का नाम 'वर्षामङ्गल उत्सव', एक का नाम 'शारद उत्सव' एक का नाम 'माघ उत्सव' है / एक तरफ जहाँ नवीन भावों के उद्दीपन के लिए नये-नये उत्सवों की परिकल्पना की जरूरत है, दूसरी ओर उसी प्रकार प्राचीन काल के उत्सवों के नूतन अर्थ लगाने होंगे और इन उत्सवों में एक नवीन दृष्टान्त दिखलाना होगा। इस तरीके से पुरानी चीज नया रूप ग्रहण करके हमेशा के लिए जीवित हो उठेगी। और, मैं आशा करता हूँ कि वैशाली की यह नवीन उत्सव-कल्पना न केवल हमारी वर्तमान जीवनधारा को हमारी संस्कृति के ऐतिहासिक पृष्ठों के साथ प्राचीन धारा की जंजीरों में बांध देगी, बल्कि नूतन युग की नूतन भावनाओं के नये-नये रास्ते भी खोल देगी, और नयी-नयी आशाओं और इरादों को जाग्रत करके हमारे कौमी जीवन की बहुत-सी शाखाओं में नये जमाने की सृष्टि करेगी। आइये सज्जनो! अब हमलोग भारतीय संस्कृति के इतिहास में वैशाली का स्थान कहाँ है, इसका अनुसन्धान करें। आज के दिन की वैशाली कुछ थोड़े से लोगों की बस्ती को लेकर कई गांवों का एक मण्डल है / एक जमाने में यही वैशाली भारत की एक बृहत् और विशाल नगरी थी।
SR No.012088
Book TitleVaishali Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogendra Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa
Publication Year1985
Total Pages592
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size17 MB
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