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________________ वैदिक काल में वैशाली 271... 'शतपथ' के मतानुसार यह 'सदानीरा' नदो कोशल और विदेह राष्ट्रों की सीमा है। . इसके पूर्व पार में पहले ब्राह्मण कोग नहीं रहते थे, अथवा अगर रहते हों तो बहुत कम तायदाद में / आज भी हम लोगों को मालूम है कि जो ब्राह्मण सरयू के पूर्व पार में मा बसे, : उनकी समाज में वह इज्जत नहीं, बो सरयू के पश्चिम पार में बसनेवाले ब्राह्मणों की है। सरयू नदी भी किसी काल में कोयल राज्य की पश्चिमीय सीमा पी। अस्तु, अब विचारणीय विषय यह है कि यह 'सदानीरा' नदी कहाँ पो और यदि आज वर्तमान है तो इसका मौजूदा रूप क्या है ? ___ यह बात प्रायः सभी पाठकों पर भलीभांति विदित है कि नदियों की धाराएं सदा बदलती रहती हैं। जल की प्रचुरता अथवा न्यूनता के कारण भी नदियों की धाराएँ कमशः फैलती और सिकुड़ती रहती हैं। जब समुद्र अथवा कोई बड़ी नदी अपना जल सिमट कर नीचे की ओर अथवा दूसरी दिशा में हटती है तो वह अपना अवशिष्ट जल ग्रहण करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के सोत-सरोवर मादि का प्रबन्ध कर लेती है। इसलिये अनुमान तो ऐसा किया जाता है कि ऋग्वेदोक्त पूर्व समुद्र ज्यों-ज्यों सुदूर पूर्व की ओर हटता गया, अपनी विरासत के रूप में गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कौशिकी आदि नदियों को पीछे की ओर छोड़ता गया। आज भी तो वंगोपसागर के मुहाने के पास गंगा की अनेक धाराएं हैं, जिनका स्थानीय लोगों ने अपनी सुविधा के खयाल से जो कुछ भी नाम रख लिया हो, पर भूगोल में उनका कोई स्थान नहीं। जिस तरह से वंगोपसागर के मुहाने पर नित्य नयी मिट्टी जमती बाती है और आबादी बढ़ती जाती है उसी तरह क्या वे नदियां, जिनका जल सूखने से बच जायगा, अथवा जिनकी धारा अवकुंठित होने से बच जायगी, कालान्तर में वहां बड़ी नदियों का रूप नहीं धारण करेंगी जिनका प्रकाश अथवा प्रशस्ति सदर भविष्य में गंगा अथवा यमुना से किसी प्रकार भी कम नहीं होगी? . रामायण और पौराणिक ग्रन्थों में सरयू को कोशल राज्य को पूर्वी सीमा कहा गया है; उसी प्रकार गंडक को विदेह की पश्चिमी सीमा। शतपथ के मतानुसार 'सदानीरा' कोशल को विदेह से अलग करती है / इससे यह पता चलता हैं कि 'सदानीरा' या तो वर्तमान काल की सरयू हो अथवा गंडक / प्रसिद्ध जर्मन विद्वान डा. वेबर 'सदानोरा' को वर्तमान गंडक बतलाते हैं / डा. मजुमदार शास्त्रो भी इसो पक्ष का समर्थन करते हैं। वर्तमान काल में हम 'गंडक' नदी को दो धाराएं पाते हैं। एक 'गंडक' वह है जो . रक्सौल (चम्पारण), मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर (दरभंगा) आदि स्थानों के पास से गुजरती हुई नवगछिया (मुंगेर) के पास गंगा से मिलती है। इसको लोग बूढीगंडक या पुरानीगंडक कहते हैं। इसकी धारा में वह वेग नहीं-वह बल नहीं-जो दूसरी बड़ी नदियों में हम पाते हैं / यद्यपि इस नदी में सदा पानी रहता है, पर हम कह सकते हैं कि इसकी धारा एक प्रकार से मुर्दा है, उसमें वह जोश-खरोश नहीं जो किसी नगर अथवा स्थान का कतर-ब्योंत करे और उसकी जगह पर दूसरा नगर या स्थान बसा दे। दूसरी बात यह है कि 'कमला' और 'बाग्मती' की तरह यह नदी भी ज्यादातर मध्य मिथिला प्रान्त होकर गुजरती है।
SR No.012088
Book TitleVaishali Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogendra Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa
Publication Year1985
Total Pages592
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size17 MB
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