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________________ वैशाली का सांस्कृतिक महत्त्व 119 नालन्दा में तो अनेकानेक बौद्ध धर्मावलम्बी देशों के विद्वान आकृष्ट हो रहे हैं। किन्तु मुझे इसमें संदेह नहीं कि वैशाली गोष करनेवाले विद्वानों के लिए एक वैसा ही मारना सिड होगी, जैसा भारत या कहीं भी कोई अच्छा-से-अच्छा केन्द्र हो सकता है। . इस अवसर पर हम पर राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी के अत्यन्त आभारी है, जिन्होंने हमारे आग्रहर्ष निमन्त्रणापर, चैत की इस चिलचिलाती धूप, धूल और पछिया के मीषण झकोरों में हमारे बीच पधार कर, हमें गौरवान्वित किया है। डॉ. वासुदेव शरण जी अग्रवाल के भी हम अनुगृहीत हैं, जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकर इस आयोजन को सफल बनाया है। अन्त में मैं इस समारोह के आयोजकों को, खास कर श्री सोहनी को, जो रागरंग की अपेक्षा वैशाली के नव-निर्माण कार्य को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं और कुछ महीनों में ही वैशाली की कायापलट करने पर तुले हैं, धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने इस समा की अध्यक्षता करने का गुरुतर कार्यभार सौंपकर, मुझे भी मानवता के इस महान् सांस्कृतिक तीथ के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर प्रदान किया है / - जय हिन्द
SR No.012088
Book TitleVaishali Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogendra Mishra
PublisherResearch Institute of Prakrit Jainology and Ahimsa
Publication Year1985
Total Pages592
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size17 MB
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