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________________ शुभेच्छा - 25 | र निर्भीक एवं ओजस्वी वक्ता किसी भी साहित्यकार एवं समाज-सेवी का अभिनन्दन वस्तुतः समाज का अपना ही अभिनन्दन होता है। यह प्रसन्नता की बात है कि प्रख्यात विद्वान, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं चिन्तक डॉ. शेखरचन्द जैन का अभिनन्दन समाज द्वारा किया जा रहा है। ___ डॉ. शेखरचन्द जैन अपने विद्वतापूर्ण एवं ओजस्वी उद्बोधन के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते हैं। ६९ वर्षीय डॉ. जैन ने अपने जीवन के प्रारम्भिक वर्ष देश के नोनिहालों एवं युवकों का जीवन संस्कारित करने में व्यतीत किया। अध्यापन कार्य के साथ साथ हिन्दी साहित्य और जैन साहित्य में लगभग 100 शोध ग्रन्थों, उपन्यासों, कहानियों, कविताओं एवं पुस्तकों की समीक्षाओं से आपने अपनी सरसता एवं सहृदयता का परिचय दिया है। “कापडिया अभिनन्दन ग्रंथ" के सम्पादक के रूप में तथा “पूज्य गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी अभिनन्दन ग्रंथ" एवं “50वें स्वर्ण जयन्ती दीक्षा समारोह ग्रंथ" के सह-सम्पादक के रूप में आपने अपनी साहित्यिक प्रतिष्ठिा को पूर्णतः प्रतिष्ठापित किया है। पिछले 15 वर्षो से "तीर्थंकर वाणी" का सम्पादन करते हुए डॉ. शेखरचन्द जैन ने भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिन्दी, गुजराती एवं अंग्रेजी - तीनों भाषाओं के माध्यम से समाज को जागृत करने का अनुकरणीय कार्य किया है। ___ डॉ. जैन लम्बे अर्से से सामाजिक सेवा के कार्यों से भी अभिन्नता के साथ जुड़े हुए हैं। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के वरिष्ठ पदाधिकारी के रूप में आपने अपनी दक्षता एवं नेतृत्व का अनूठा प्रदर्शन किया है। भगवान ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के कार्याध्यक्ष एवं अध्यक्ष के रूप में तथा समन्वय ध्यान साधना केन्द्र के संस्थापकट्रस्टी अध्यक्ष के रूप में पिछले 10 वर्षो से अहमदाबाद के पिछड़े इलाके में 'श्री आशापुरा जैन अस्पताल' द्वारा गरीबों की सेवा कर रहे हैं। आप पिछले 15 वर्षों से पश्चिम जगत में धर्म प्रचार में कार्यरत है। पत्रिका के श्रेष्ठ प्रकाशन और विद्वत्ता के कारण अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत है। जैन एकता के लिए सदैव प्रयासरत रहने वाले डॉ. शेखरचन्द जैन का अभिनन्दन देश के सभी मनीषियों के ! लिए प्रेरणादायक व अनुकरणीय सिद्ध हो और डॉ. शेखरचन्द जैन स्वस्थ रहते हुए शतायु हों और मानव मात्र । की, समाज की, एवं धर्म की अनवरत सेवा करते रहें, इसी शुभ कामना के साथ नरेश कुमार सेठी (अध्यक्ष- भा.दि.जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी) सेवाभावी व्यक्तित्व यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि आप लोग डॉ. शेखरचंदजी का अभिनन्दन करने जा रहे है। डॉ. । शेखरचंद्र अत्यन्त निर्भीक व्यक्ति हैं। लेखनी में समाज के लिए पीड़ा छिपी हुई है सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में अन्धविश्वासों के विरुद्ध में बराबर 'तीर्थंकर वाणी' में अपने विचार देते रहते हैं ऐसे स्पष्ट विचार प्रगट करना दुष्कर कार्य है, लेकिन डाक्टर साहब तो अपनी बात के पक्के हैं। ज्ञान में तो बेजोड़ हैं जैनधर्म ही नहीं सारे धर्मों के अच्छे जानकर हैं साथ ही साथ हास्पीटल के माध्यम से सेवा के कार्यो में भी दिल से लगे हुए हैं। विद्वता एवं सेवा दो संगम कम देखने मिलते हैं डाक्टर साहब धार्मिक कुरीतियों से काफी दुःखी हैं। मेरा सौभाग्य रहा कि कई बार डाक्टर साहब के साथ रहने का अवसर मिला उनमे लाग लपेट एकदम नहीं है। ऐसे योग्य पुरुष का सम्मान करके हम लोग खुद ही सम्मानित होंगे। डाक्टर साहब स्वस्थ रहते हुए शतायु हों देश एवं समस्त धर्म की कुरीतियों पर प्रहार करते रहें ऐसी मंगलकामना के साथ उन्हें सादर प्रणाम। सरदारमल काँकरिया (कोलकाता)।
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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