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________________ शुभेच्छा की का G ALA 21 घरातल से शिखर __डॉ. शेखरचंद जैन बहुविधाओं के व्यक्तित्व के धनी हैं, जो विरलों को ही प्राप्त होती है। एक दो विधाओं के धनी व्यक्तित्व तो अनेक मिल जावेंगे लेकिन बहुविधाओं के धनी विरले ही होते हैं। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर अपनी कर्मठता एवं परिश्रम से उच्च शिक्षा प्राप्त कर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की, एवं जीवकोपार्जन के लिए प्राथमिक शाला के शिक्षक के पद से प्रारंभ कर कालेज में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य पद पर रहकर कुशल प्रशासक एवं उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में कीर्ति अर्जित की। विद्वत्ता के क्षेत्र में भी विशिष्ट स्थान है। पत्रकारिता के क्षेत्र में तीर्थंकर वाणी एक साथ तीन भाषाओं में प्रकाशित कर जैन पत्रिकाओं में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। जो बहुआयामी सोच दर्शाता है। पत्रिका में समय-समय पर डॉ. साहब की संपादकीय लेख समाज को झकझोर देते हैं। उनके लेख मार्मिक होते हैं। ___ मानव सेवा के क्षेत्र में माँ आशापुरा अस्पताल अपने मित्रों के सहयोग से अहमदाबाद में प्रारंभ किया। यह कार्य करूणा एवं दया को प्रदर्शित करता है। माँ जिनवाणी की सेवा करते हुये। अनेक ज्ञानापयोगी धार्मिक पुस्तकें लिखीं। एक कुशल प्रवचनकार के रूप में जो ख्याति अर्जित की उससे भारत ही नहीं अमेरिका में दिगम्बर एवं श्वेताम्बर जैन समाज समान रूप से आपका प्रवचन सुनकर इनका सम्मान करती है। डॉ. शेखरचन्द्र के स्वस्थ यशस्वी एवं दीर्घायु जीवन की कामना करता हूँ। श्री डालचंद्र जैन (पूर्व सांसद) वाससा वारसूरिश श्रीकै Rile कोवा (गांधीनगर) पि.३८२००७ झानमाल . पमहातीर जनारायला
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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