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________________ 269 आगम के परिप्रेक्ष्य में अर्थशाला डॉ. जयन्तीलाल जैन (चैन्नई) परिभाषा 'इकोनोमिक्स' शब्द ग्रीक शब्द 'ओईकोस' से लिया गया है जिसका अर्थ 'घर' होता है और 'नेमेन' का अर्थ 'प्रबन्धन' है। इस प्रकार 'घर का प्रबन्धन' उसका भाव है। अध्यात्म के अर्थ में तो 'घर के प्रबन्धन' में अपने अन्तर के घर, आत्मा या उसके भावों का प्रबन्धन हो, अर्थशास्त्र का विषय हो जाता है। स्थूल दृष्टि से देखें तो अर्थशास्त्र व आगम का मेल नहीं होता है, लेकिन जब गंभीरता से विचार किया जाय तो इनमें गहरा संबंध है। __ लौकिक अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ पांच बातों पर आधारित हैं : (1) धन (2) हित/सुख (3) अनेक इच्छाएँ व सीमित साधन (4) विकास (5) जटिल समस्याओं में । अर्थशास्त्र के तर्क व मुक्ति का प्रयोग। इन परिभाषाओं एवं उनके भाव को ध्यान में । रखकर इच्छाओं की पूर्ति, भोग, उपभोग, उत्पादन, वितरण, न्यायोचित वितरण, । निर्धनता, विकास आदि-प्रमुख विषय अर्थशास्त्र में होते हैं। आजकल तो स्वास्थ्य, । विवाह, पर्यावरण, उद्योग, सरकारी कार्यक्रम आदि मनुष्य जीवन के सभी क्षेत्रों में जहां निर्णय होता है और साधन/चयन सीमित हैं, अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री हो जाती है।। अन्य शब्दों में, जहाँ सुख की बात आती है और सुख अनेक बातों पर निर्भर करता है, । उन सब विषयों का अर्थशास्त्र में समावेश हो जाता है। रोबिन्स नाम के अर्थशास्त्री ने तो 'निर्णय की स्थिति' को ही अर्थशास्त्र कहा है- चाहे वह अकेले राबिन्सन क्रसो की ही या हिमालय के साधु की हो। नोबेल पुरस्कार विजेता पाल सेमुयलसन ने भी चयन या निर्णय की स्थिति को अर्थशास्त्र का विषय कहा, चाहे फिर वह 'पैसे सम्बन्धी हो या न हो।' पुनः वह भोग का विषय चाहे वर्तमान संबंधी हो या भविष्य के लिए। विषय-सामग्री सभी अर्थशास्त्री अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के बारे में एकमत नहीं हैं। डी.एच. ! रोबर्टसन ने अपनी पुस्तक 'मनी' में लिखा कि पैसा जो मनुष्य जाति के लिए अनेक सुखों । का स्रोत है, यदि उस पर नियंत्रण नहीं किया जाय तो विनाश व भ्रम का स्रोत बन जाता ।
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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