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________________ 202 स्मृतियों के वातायन से प्रश्न आपके बच्चो के साथ उनके दादाजी का बर्ताव कैसा होता है? उत्तर : कभी कभी डाँटते है, प्यार भी करते हैं। बच्चे दादाजी की उपस्थिति में शिस्त में रहते हैं। बच्चे दादाजी से डरते हैं। डॉ. राकेशकुमार जैन (पुत्र) प्रश्न डॉ. राकेशजी आपके पापाके साथ बहुतसी धार्मिक, सामाजिक प्रवृत्तिओं में संलग्न रहते हैं, आपके पिताजी का प्रवृत्तिओं के बारे में आपका क्या कहना है ? उत्तर : पापाजी उनकी प्रवृत्तिओं में आकंठ डूबे रहते हैं। परिवार का, बच्चों का ध्यान बहुत कम रखते हैं। प्रश्न इस उम्र में भी आपके पिताजी अनेक स्थानों पर देश-परदेश में घूमते हैं, नादुरस्त स्वास्थ्य होते हुए भी, इसके बारे में एक पुत्रके नाते आपकी क्या संवेदना है ? उत्तर : धर्म के अनेकों प्रसंग आते हैं। श्रेष्ठ प्रसंगो में जाना चाहिए। सभी में जाना जरूरी नहीं है। वे अपने स्वास्थ्य का भी खयाल नहीं रखते, इस बातसे परिवार के सभी सदस्यों को चिंता रहती हैं। प्रश्न आपके पिताजी अध्यापक और साथमें एन. सी. सी. कमान्डर रहे हैं। अध्यापक की आदत होती है शिश्तबद्ध वर्तन और कमान्डर का स्वभाव तो अशिस्त के लिए कड़क ही होता है। इसका प्रभाव गृहस्थी में भी होता होगा, क्योंकि गृहस्थी तो शिश्त- अशिस्त का मिश्रण है। इससे आप आपकी धर्मपत्नी और बच्चों की क्या प्रतिक्रिया रहती है? उत्तर : घरमें पापाकी हाजरी में करफ्यू जैसा वातावरण रहता है। शिस्त जरुरी है, लेकिन शिस्त का ओवरडोज़ घर के वातावरण को बोझिल बना देता है। प्रश्न ऐसा कोई प्रसंग आपकी स्मृति में है कि जिस प्रसंग पर आपको लगा हो आपके पापाजी वास्तव में विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी हैं। उत्तर : ज्ञानमति पुरस्कार से पुरस्कृत का प्रसंग, गोमतीपुर की प्रतिष्ठा, वस्त्राल ( शिवानंदनगर के मंदिर ) की प्रतिष्ठा के समय उनके कार्यो से जरुर गर्वका अनुभव हुआ और मुझे लगा मेरे पापाजी सही में विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी है। डॉ. अशेष जैन (पुत्र) प्रश्न डॉ. अशेषजी आपके पिताजी आपके बारे में मान्यता रखते है कि मैं पुत्र अशेष की जरुरत और उनके लालन-पालन में ज्यादा ध्यान नहीं दे सका हूं-शायद उनके मन में इसी बात का दुःख भी होगा, क्या ऐसा है? उत्तर : ऐसा तो मुझे नहीं लगता है। हाँ मुझे पढ़ाने में व्यवस्थित करने में उन्होंने पूरी तन-मन और धन से सहायता की है। आज में जो भी हूँ उनके ही आशीर्वाद और मेहनत के कारण हूँ। आप डॉक्टर हैं, आपकी बड़ी होस्पीटल है, आपकी प्रेक्टीस भी अच्छी चल रही है, ऐसी स्थिति में आपके पिता की धार्मिक और सेवाकीय प्रवृत्तिओ से आपके दिल में कैसी भावना होती है? उत्तर : अच्छी प्रवृत्तियाँ करनी चाहिए लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों का ध्यान रखना चाहिएथोडा समय बच्चो को भी देना चाहिए। प्रश्न प्रश्न मैंने देखा है कि आप अपने पापासे ज्यादा मम्मी को मिलते जुलते है, क्या वजह है? उत्तर : कुदरती ऐसा संबंध है। मम्मी से ज्यादा लगाव है। पापासे बात करने को तैयारी करनी पड़ती है। वे किसीकी सुनते नहीं। दूसरे के सजेशन नहीं लेते।
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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