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________________ XII श्री आदिनाथाय नमः अभिनंदन पत्र वाणीभूषण - प्रक्चनमणि - ज्ञानवारिधि उपाधियों से विभूषित डॉ. शेखरचन्द्र जैन एम.ए.पी-एच.डी., एल-एल.बी.,साहित्यरत्न के करकमलों में सादर अर्पण संघर्ष से सिद्धि के शिखर छूने वाले आप आजीवन लोकप्रिय अध्यापक एवं कॉलेज के प्राचार्य, श्री महावीर जैन विद्यालय के गृहपति एवं एन.सी.सी. के कमांडर रहकर उत्तम व्यवस्थापन के उदाहरण स्वरूप रहे हैं। अंतरर्राष्ट्रीय फलक पर वकृत्व कला से आपने भारत एवं परदेश में अमिट छाप छोड़ी है। आप हिंदी एवं जैन साहित्य के सिद्धहस्त लेखक हैं। आपने हिन्दी, गुजराती दोनों भाषाओं में कथा, काव्य, विवेचन साहित्य का मौलिक सृजन किया है। आपकी संपादन कला से जैनमित्र, शिक्षण संस्कार, रोटरी क्लब बुलेटिन को नयी दिशा प्राप्त हुई तो 'तीर्थकर वाणी' के बारा जैन शिक्षा-संस्कार की महति प्रभावना हो रहा है। संपादन कला हेतु आप राष्ट्रीय स्तर के श्रुत संवर्धन एवं अहिंसा इन्टरनेशनल पुरस्कारों से पुरस्कृत हुए हैं। जैन एकता के प्रहरी जैन समाज की एकता के लिए आप विगत २५ वर्षों से संघर्षरत है। देश-विदेश में आपको सभी संप्रदाय पूरे सम्मान से प्रवचनादि के लिए आमंत्रित करते हैं। आपको सभी आम्नाय के आचार्यों का आशीर्वाद एवं श्रावकों का आवर प्राप्त हुआ है। आप 'भारत जैन महामंडल' भावनगर शाखा के स्थापक मंत्री रहे एवं गुजरात प्रदेशीय शाखा के उपाध्यक्ष है। आपका यह अभिनंदन उसी विचारधारा का प्रतिफल है। जैन एकता के शंखनाद की गूंज आज सर्वत्र मुखरित हो रही है। विदेश और सविशेष अमरीका के ४० केन्द्रों पर आपने सभी संप्रदायों के पर्वो की आराधना कराके एकता की जो मिसाल स्थापित की है वह सराहनीय है। समाजसेवा समाजसेवा के कार्यों में आपने तन-मन-धन से स्वयं को अर्पित किया है। जिसके प्रतीक स्वरूप 'श्री आशापुरा माँ जैन अस्पताल' बारा गरीबों की जो निःशुल्क सेवा कर रहे हैं वह श्लाघनीय कार्य है। गरीब रोगियों की सेवा को ही जाति, धर्म, प्रदेश, भाषाके भेदभाव से ऊपर मानकर अहमदाबाद के अति पिछड़े इलाके ओढव में सेवाकार्य करते हुए महज़ आठ वर्षों में ही अस्पताल को जो गरिमामयी ऊँचाई प्रदान की है वह श्लाघनीय है। आपने अपनी निजी राशि से गरीब विद्यार्थियों के लिए आर्थिक सहायतार्थ अपने स्व. पू. पिताश्री पन्नालालजी के नाम से विद्यार्थी सहायता कोष का प्रारंभ किया है। आपकी विद्वत्ता, प्रवचनशैली एवं जैनधर्म की सेवा हेतु आपको 'जम्बूद्वीप पुरस्कार', 'श्री सहजानंदजी वर्णी साहित्य पुरस्कार' एवं राष्ट्रीय स्तर का 'पू.ग.आ. ज्ञानमती पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। आप अपनी क्षमता एवं कार्यशैली के कारण आर्ष परंपरा की राष्ट्रीय संस्था भ. ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ के अध्यक्ष पद पर रहे एवं वर्तमान में आप उसके संरक्षक पद पर हैं। आपके समन्वयवादी दृष्टिकोण, समाजसेवा एवं विद्वत्तता से प्रेरित होकर यह अभिनंदन समिति आपको *जैन समन्वय रत्न' की उपाधि से विभूषित कर गौरवान्वित होती है। आपके स्वास्थ्य एवं दीर्घ जीवन की शुभकामना करते हुए प्रभु से यह प्रार्थना करती है कि आप धर्म, समाज एवं राष्ट्र की सेवा करते रहें। ___ हम हैं आपके शुभाकांक्षी समस्त पदाधिकारी डॉ. शेखरचन्द्र जैन अभिनंदन समीति, अहमदाबाद, गुजरात
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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