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________________ X X . आत्मखोज करनी हैं। मन से द्वेष या परायेपन का भाव दूर करना है। हम वर्तमान पर दृष्टिपात करें तो आज भारत में इस जैन एकता की परम आवश्यकता है और इस ओर चिंतन व प्रयास चालु रखना चाहिए। हम दिगम्बर-श्वेताम्बर-स्थानकवासी-तेरहपंथी मीटकर एक देव के विश्वासी और एक धर्म के अनुयायी बने। जैन धर्म द्वारा अपरिग्रह, अहिंसा, सत्य, महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। उनका विश्व में प्रचार-प्रसार हो और उससे होनेवाले सुख-समृद्धि व शांति का विकास हो और इस प्रकार विश्व को समन्वय से जीवन जीने का आदर्श प्रदान कर सकें। मैं डॉ. शेखरचन्द्र जैन को बचपन से जानता हूँ। पिछले २०-२५ वर्षों से वे जैन एकता के लिए जैसा संघर्ष कर रहे हैं उनका मैं ही नहीं आप सभी साक्षी हैं। आज गुजरात, भारतवर्ष एवं अमरीका में उन्होंने इस एकता के शंखनाद को गुंजित किया है। 'तीर्थंकर वाणी' पत्रिका से आप इसके प्रचार-प्रसार में लगे हैं। समन्वय ध्यान साधना केन्द्र द्वारा संचालित श्री आशापरा जैन अस्पताल इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसी कारण वे पू. आचार्य विद्यासागरजी, पू. आ. महाप्रज्ञजी, पू. आ. वर्धमानसागरजी, पू.आ. पद्मसूरीजी, पू. आ. निर्मलसागरजी, पू.आ. गुणधरनंदीजी, पं. जम्बूविजयजी, मुनिश्री नम्रमुनिजी एवं पू.आरत्न गणिनी ज्ञानमतीजी का आशीर्वाद प्राप्त कर सके हैं। ___डॉ. शेखरचन्द्र जैन का चारों संप्रदायों की ओर से या यों कहूँ कि पूरी जैन समाज की ओर से एवं जैनेतर मित्रों की ओर से जो यह सम्मान हो रहा है वह इंगित करता है कि हम एकता के समर्थक हैं और उसी ओर बढ़ रहे हैं। मैं तो मानता हूँ कि यह समारंभ मात्र डॉ. जैन के सम्मान का नहीं है अपितु जैन एकता का समारंभ है। उनके द्वारा संचालित अस्पताल समाज को प्रेरणादायक बनें और निरंतर प्रगति करे। इस अवसर पर उनके स्वास्थ्य की शुभकामना करते हुए जैन एकता की अक्षुण्णता की शुभकामना करता हूँ। देश के जाने-माने गीतकार और संगीतकार श्री रवीन्द्र जैनने बड़ी ही भावपूर्ण पंक्तियों में लिखा है "हम नहीं दिगम्बर श्वेताम्बर तेरह पंथी स्थानकवासी हम एक देव के अनुयायी हम एक धर्म के विश्वासी"
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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