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________________ स्मतियों के वातायन T 112 . सफल संपादक जैन धर्म जैने सम्यक् धर्म के प्रगाढ़ प्रचारक डॉ. शेखरचंद्र जैन भारत वर्ष के प्रायः सभी बड़े शहरो में आमंत्रित किये गये हैं। साथ ही उनकी ओजस्वी वाणी द्वारा अमेरिका, इंग्लेन्ड, आफ्रिका जैसे देशों में प्रचारप्रसार हुआ है। आपने जैनधर्म के सत्य, अहिंसा, अनेकांत, शाकाहार, अपरिग्रह आदि सिद्धांतों को और जैनधर्म के मर्म को समझाया है। कहीं पर्युषण व्याख्यानमाला में, कहीं दशलक्षण पर्व पर तो कहीं महावीर जयंति के उपलक्ष्य में उपस्थित हुए है। लंदन में लेस्टर की प्रतिष्ठा के उत्सवमें संचालन किया एवं 'दि जैन' सुवेनियर के सह संपादन किया। उनकी प्रसिद्धि का कारण है धर्म की विशिष्टता का वर्णन करने का कौशल । वर्तमान और विज्ञान के साथ धर्म के सिद्धांतो के ताल-मेल की दक्षता । श्रोताओं के प्रश्नों को पूरी तरह से समझकर आगम के अनुरूप उसे वर्तमान संदर्भ में समझाने की कला । विशाल हृदय और जैन एकता के प्रखर हिमायती, सर्वधर्म के प्रति समभाव और विकसित मानस उनके 1 व्यक्तित्व में सोने पर सुहागा है। अनेक पुरस्कार से पुरस्कृत एवं अनेक उपाधियों से विभूषित होना उनके प्रखर ! व्यक्तित्व के परिचायक हैं। णमोकार मंत्र के ध्यान शिबिर द्वारा ध्यान के अनूठे प्रयोग उनकी विशेष देन है। आपका अभिनंदन ग्रंथ के माध्यम से जिस गौरव और गरिमा के साथ सम्मान होने जा रहा है वह एक उत्कृष्ट भावांजलि है। मैं यही प्रार्थना करती हूँ तुम जीयो सो सो साल स्वस्थ करते रहो धर्म का प्रचार प्रशस्त । धर्म की ध्वजा फहराती रहे देश-विदेश, विश्व सुनता रहे वर्धमान का पावन संदेश ॥ श्रीमती इन्दुबहन शाह ( अहमदाबाद) S विदेशों में धर्व-ध्वजा वाहक तलस्पर्शी ज्ञाता सरस्वती साधक, कुशल लेखक, प्रभावी वक्ता निर्विवाद विद्वत्ता के मूर्धन्य सचेतक / वाहक, श्रेष्ठ सम्पादक मेरे बालसखा भाई डॉ. शेखर जैन भारत के उन विद्वानों में अग्रगण्य हैं जिन्होंने जैनदर्शन, धर्म, साहित्य-संस्कृति को सुदूर देशों में अपनी सूझबूझ तथा तर्कणाशक्ति के साथ जन-जन तक पहुँचाने का बहुशः प्रयास किया है। सिवनी के पं. स्व. सुमेरचन्दजी दिवाकर, सतना के पं. नीरजजी जैन, रीवाँ के डॉ. नन्दलालजी भी विदेशों में व्याख्यान हेतु / धर्मसभा में विश्वस्तरीय सम्मेलनों में आमंत्रित होकर विदेशों में यश - पताका फहराते रहे हैं, किन्तु डॉ. शेखर जैन का लगातार पच्चीस वर्षों से अफ्रीका, युरोप और अमरीका स्थित विभिन्न नगरों में जैनधर्म के प्रसार-प्रचार हेतु अनवरत रूपसे आमंत्रित होना समस्त जैन समाज के गौरव का विषय है। उनका विदेश प्रवास इसलिए भी सार्थक है कि वे अहमदाबाद स्थित “ श्री आशापुरा माँ जैन अस्पताल" के निमित्त धनराशि लाकर विपन्न, असहाय और अतिदरिद्र जनों के हितार्थ / स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से सतत 1 प्रयत्नशील रहते हैं। शिक्षा जगत तथा शिक्षण से जुड़े डॉ. शेखर का अपना रचना - संसार है। उपन्यास, कहानी, कविता, निबंध तथा समीक्षा उनके प्रिय विषय हैं। 'तीर्थंकर वाणी' के माध्यम से हिन्दी, गुजराती, अंग्रेजी भाषाओं में जैनधर्म की शिक्षाओं, जैनदर्शन की सूक्ष्म विवेचना तथा प्राचीन आचार्यों द्वारा रचित जैन साहित्य को सुबोध बनाते हुए
SR No.012084
Book TitleShekharchandra Jain Abhinandan Granth Smrutiyo ke Vatayan Se
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
PublisherShekharchandra Jain Abhinandan Samiti
Publication Year2007
Total Pages580
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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