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________________ पूज्य गुरु वल्लभ व महावीर विद्यालय ... मुझे जब भी हमारे हृदयसम्राट परमवंदनीय प्रातःस्मरणीय पंजाबकेसरी युगद्रष्टा पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वल्लभसूरीश्वरजी म.सा. के जीवन पर बोलने या लिखने को कह जाता है मेरा मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है, कलम को शब्द नहीं मिलते जिससे मैं बीसवीं सदी के उस महान क्रांतिकारी, महान शिक्षाशास्त्री, मानवता के मसीहा, गुरुवर का यशोगान कर सकूँ । गुरु वल्लभ के व्यक्तित्व और कृतित्व के एक भी गुण तथा एक भी उपलब्धि पर सागर-सलिल से लेखनी द्वारा लिख्ख पाना अशक्य है । बाह्य व आंतरिक दोनों रूप में आपश्री का व्यक्तित्व महान था । अद्वितीय आदरणीय था। शांति-समतासहअस्तित्व की सद्भावना का प्रतीक चिन्तन व जीवमात्र के कल्याण की कामना कर ओजस्वी किंतु शांत चेहरा मधुर धीर गंभीर वाणी से समलंकृत था । कई विद्वानोंने गुरु वल्लभ के जीवन पर रिसर्च की है किंतु इतने अनुसन्धान के बाद भी विशाल व गम्भीर व्यक्तित्व का आकलन पूर्णरूपेण नहीं किया जा सका है । एक जैनाचार्य होते हुए भी गुरु वल्लभ जातपात, लिंगभेद, प्रान्तवाद, देशभेद की दीवारों को तोडकर आत्मचिंतन व सर्वजनहिताय कार्य करते थे । हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी उनके भक्तों में थे और वे सभी के हित की बात करते थे । वे सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे - सबकी पीड़ा के साथ सदा जो अपने मन को जोड़ सके, मुड़ सके जहाँ तक समय उसे निर्दिष्ट दिशा में मोड़ सके । युगपुरुष वही सारे समाज का निहित धर्मगुरु होता है, सबके मन का जो अंधकार अपने प्रकाश से जोड़ सके ।। हम सबके प्राणाधार गुरुदेवने अपने आराध्य न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्री विजयनित्यानन्द सूरि
SR No.012079
Book TitleMahavir Jain Vidyalay Shatabdi Mahotsav Granth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumarpal Desai
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2015
Total Pages360
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size8 MB
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