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________________ શત્રુ જયિગિર પરના એક લુપ્ત શિલાલેખા પ્રાચીન પ્રત सेंट - १. नालाका वर्ष फाल्गु नदद की मदादिल के समक्ष राजीमलंकृतम राजाधिराज श्रीति श्रणपालदेवव्यासविरुदामा दिव्यापारापयतिसरा पालिकाय प्रकार राधिपतिराजा दुता देवत बारावीप महामंड 16] श्रीवीसलदे दिनमा श्रीम चित्रा श्रावार्य श्री मई दवा श्रीदेवी का वै हताश्रमिस नावडाराचैत्यश्र सूरिभवमी नावासिलासोरंटवालमीक वाक देवाल श्रीरिनाम श्री रा फि શ્રી મોહનલાલ રાનાની સ્મારક ધ પ્લેટ Jain Education International यदि श्रोत गंभीर देवल कके जाल राजाओ सिंचन की नाडि श्रीहरिशिष्यनियर निरचंद्र विशिष्यश्री मासिकाचंद्रजिताश्री श्रीमदनी दवन सरिता मी भारताने दसर भि मणि देवा बालसंत श्रीदेवसिष्ट सं उला श्री विध्य श्री शिरडीह हामी रशिय रनिंग जिरिशिष्य श्रीरत्र महरिशा नडिया वा श्री दरम श्रोत्यः श्रीधर्म पारिश्रीधनश्री श्री श्रीरिवरिक मारिता नसीम श्री श्रीमदेव ि श्रीश्रीवर्धमान श्री जय सिंह श्री बालायानतिमा मिनरावानतिविद्यानि सप्पाचा या समवायेन निवासमा श्रीलालयाला श्रीमालीचा मरा नाम-जपाल श्री लसुन महंश्री जयतीतिमा समपाल तसान की खडा शान्तिक श्रमामुननांग स्यान्डविरल के साथ साथ लम्बी-वीकल लुलिगनंद झाल्या खाडाद नीमराज मर्द्धमदनानतीव म. रामदेवञ्च मे मयजयतां मे मा बापत जी आपत्ती जमवीत सािं मायाकालांतवासासा ही व्यवादिकादीना विचारविश्वायकृत निर्मात्या युम्रा कमेडललाटन्दादिदेश वराह सामंताना मानपुर नगमाकडे जयरेततका अदा दिगिरिशिखरे श्री मसा . २. वामनपटिकाया। मोहनघताना मलेयर शुरु नरियन की मंगा श्रीदेविद्यदर्शन एवकारज्ञानार्थमितिः। एषाणसहियार विविवियन । जारचते। तर वर्ग गावतारिषेषामपद विशेमर । निमतानगरपंचा सिद्धीराणंद र लादेशमा श्रीगणराय तिरि मान्यवासिनोयमतिवादिया मद्य कान्यत्यनितिन दिनमाखापनाका पानापर पदीका पिनदाता नामा जापित से वर दिवादाराम नात्ययमबजे नयति पानी वित्वामनिर्वमतिवाजा शासनवित्यननिदिन यः कनिक चाम वहनीय नकाग्रिबामन यान्यत्यायननगरयामादिनिनो विदितानहोला देनाश्रावके वापराविना प धानका विज्यमानाकापात्पतिका रोका मनमनका माश्वमिव विभधनमिनिधामर्वयो सम्यगनितः। एवमयेन विस्तव चाल पिवाचनका निर्वासमान मन्य पिकायचनादिकांक (रातिक मानगाड़ालामाल यरिविजिनमनानुसारिनिसमात्रयतित । य नया नका विहारी प्रीतिमाशि माल्पो श्रीद ि ममत्वासिनिवार्य तथा निवास पिरीया For Personal & Private Use Only मतप महानगपद्यते। श्रक्खुपालातो वातायना मदनन पिडिका लिखित रसदेव जयमाना विज्ञातिलाज्य जिनानघमालिखितातितः खाना ललिखे तपरिवरिल विसाल द्वारचन दात आणते नारीमगळसाबुनको पदपकायानामात्पत कारी मणिमाधवा चि [ ट है। उभाान्ताना थी www.jainelibrary.org.
SR No.012077
Book TitleMohanlalji Arddhshatabdi Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMrugendramuni
PublisherMohanlalji Arddhashtabdi Smarak Granth Prakashan Samiti
Publication Year1964
Total Pages366
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationSmruti_Granth
File Size13 MB
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