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________________ विषय खंड श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ - - प्रचार और प्रसार करनेवाले यही महामुनीन्द्र हैं जो आज तक तीर्थकरों के मार्ग को ग्रहण कर अपना जीवन बिता रहे हैं। पंडितजी ने अपने भाषण में गुरुदेव श्रीकी अमूल्य सेवाओं का संक्षेप में वर्णन किया और श्रद्धाजंली समर्पण करते हुए चिरायु होने की शुभ कामना प्रकट की। श्रीयुत्-शास्त्री मदनलालजी जोशी निवासी मंदसौर ने अपने भाषण में गुरुदेव श्री के पांडित्यपूर्ण-जीवन का वर्णन किया और यह कहाकि मैं भी आपही की कृपा दृष्टि से कुछ उज्जबल मार्ग पा सकाहूँ। श्री. राजमलजी सम्पादक दैनिक 'ध्वज' मंदसौर ने अपने ओजस्वी भाषण में गुरुदेव श्रीके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण अंशों को बतलाया और कहा कि आपने अपना सारा समय साहित्य-सेवा मेंही लगा दिया। यह आदर्श मूर्ति हमारे लिये प्रेरणा का श्रोत है। आज भी अपनी वृद्धावस्था होते हुए भी आप अपनी लेखनी किसी न किसी विषय पर चलाया ही करते हैं। श्री.अरविंद ने गुरुदेव श्री के महत्वपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि अपनी उन्नति जोकर पाया हूँ, अपनी कवित्व शक्ति जो बढ़ा पाया हूँ-सभी आपकी ही कृपा का फळ है । मैं पूज्यवर गुरुदेव श्रीको शत-शत वंदन करते हुए, चिरायु होने की शुभ कामना प्रकट करते हुए एक पुस्तक समर्पित करता हूँ ! श्री लक्ष्मीचंदजी सरोज-ने अपनी एक कविता के द्वारा गुरुदेव श्रीकी वंदना की । आप जैन-समाज के एक सफल लेखक व कवि हैं । मुनि-समुदाय में से-पू. श्री विद्या-विजयजी, श्री कल्याण विजयजी, देवेन्द्रविजयजी, जयंतविजयजी, जयप्रभविजयजी आदि मुनिवरों ने गुरुदेवश्रीके महत्वपूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला और वंदना कर चिरायु होने की शुभ-कामनाएं प्रकट की। श्रीसंघ में से अनेक प्रमुख सजनों ने खड़े होकर अपने विचार रखे । उनमें श्री. घेवर मलजी मेहता इन्दौर, श्री धनराजजी इन्दौर, श्री छजलाणीजी महिदपूर, श्री मांगीलालजी धार, सेठ-पन्नालालजी टांडा आदि महानुभावों ने गुरुदेव श्री की वंदना करते हुए आपके साधु-जीवन पर प्रकाश डाला। श्री कीर्तिकुमार-हालचंद वोराने जो गुजरात संघ की ओर से इस महोत्सव में आये थे अपने भाषण में गुरुदेव श्री का गुणगान करते हुए बतलाने लगे कि समस्त गुजरात आपश्री की वाणी पर न्योछावर है और गुजरात संघ की ओरसे वंदना कर गुरुदेव श्री के चिरायु होने की शुभ कामना प्रकट करता हूँ। भाई शान्तिलाल जैन, बड़नगरने भी अपने एक गीत के द्वारा गुरुदेव को वंदना कर दीर्घायु की कामना की। श्री बालचन्दजी "मास्टर" निवासी राजगढ़ ने भी अपना संक्षिप्त भाषण गुरुदेव श्री की अमूल्य सेवाओं का वर्णन करते हुए दिया और बतळाया कि जब Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012074
Book TitleYatindrasuri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size14 MB
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