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________________ - - विषय खंड अहिंसा का आदर्श चारों पुरुषार्थों [धर्म, अर्थ, काम (कार्य) और मोक्ष ] की सिध्धि भी बहु भाग में अहिंसा पर आधारित है तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी। ___आदमी को आदमी बनानेका कार्य बहु भाग में अहिंसा ने सिखाया। अहिंसा ने सिखाया कि आदमी? अगर तूं आदमी है तो आदमी को आदमी समझ । अहिंसा ने एक नहीं अनेक युध्ध रोके । उसने सुस्पष्ट कहा 'संधि पत्रों के स्वार्थ समे हस्ताक्षर अधिक दिनों तक शांति नहीं रख सकते, अतः स्थायी शान्ति के लिये मेरी शरण में आओ । युध्ध रोकने के लिये शस्त्री करण-निशस्त्री करण के चक्कर में न पड़ो बल्की हृदय मिला कर आगे बढो ।' . सच तो यह है कि अहिंसा का आदर्श इतना निर्मल है कि उस पर हिंसा का एक बिन्दु भी पड जावे तो वह स्पष्टतया अलग वैसे दिखाई देगा जैसे धोबीद्वारा धुले सफेद कपडे पर काजलं की रेखा दिखाई देगी। अहिंसा का आलोक जहाँ एक ओर सूर्य से भी अधिक तेजस्वी है, वहां दूसरी ओर चन्द्रसे भी अधिक शितल है Might is right 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' या 'शक्तिः परेषां परिपीड़नाय' के अन्धकार को मिटाने के लिये अहिंसा करोडों सूर्यों से भी अधिक तेजस्वी है और 'आत्मवत्सर्व भूतेषु' का पाठ पढ़ाने के लिये, 'एक ह्रदय हो निखिल विश्व' यह की भावना बढ़ाने के लिये अहिंसा करोडों चन्द्रों से भी कहीं अधिक शीतलता देने का कार्य करती है । संक्षेप में अहिंसा में वह अलौकिक अम्मी है जो मुझे तो क्या वृहस्पति को भी अकथनीय और अवर्णनीय बनी है । यदि धर्म देवता है तो भगवती अहिंसा उसकी अन्तरंग देवी है । जब तक आकाश में सूर्य-चन्द्र प्रकाश देते हैं और पृथ्वी पर सरिता-सरोवर-समुद्र लहराते है, तब तक अहिंसा अखण्ड, अजर, अमर और अक्षय हो । आज इतना ही मुझे 'अहिंसा का आदर्श' निबन्ध में निवेदन करना है । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012074
Book TitleYatindrasuri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size14 MB
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