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________________ ‘সটিতে ঠাসনী’ স্ত্রী নিলাল নালী ছাত अमृत-महोत्सव समिति के सदस्यों के प्रतिभाव [ हमने मित्रों को श्री शान्तिभाई शेठ के अमृत महोत्सव समिति के सदस्य बनने की प्रार्थना की थी। सभी ने सदस्यता स्वीकृत की थी। किन्तु कुछेक ने स्वीकृति के उपरान्त श्री शान्तिभाई के विषय में अपने प्रतिभाव को व्यक्त किया था उनमें से कुछ के प्रतिभाव यहाँ मद्रित हैं।] -सम्पादक शिक्षा-शास्त्रियोंकी नजरों में । मैं श्री शान्तिभाई को, जो अपने आदर्श द्वारा जैन-धर्म श्री शान्तिभाई के ७५ वर्ष के दीर्घकालीन शैक्षणिक का चारों ओर प्रचार-प्रसार करनेवाले अध्यापकों में से एक एवं सामाजिक कार्यकलापों के उपलक्ष्य में उनका जो सम्मान मानता हूँ । उन्होंने भगवान महावीर के २५ वीं शताब्दी वर्ष किया जा रहा है, मैं उसमें अपने को सम्मिलित करने में में जैन समाज की जो निःस्वार्थ सेवा की है और इस उपलक्ष्य प्रसन्नता का अनुभव करती हूँ। में उनको 'सन्निष्ठ समाजसेवी' जो उपाधि प्रदान की गई -डा० माधुरी शाह, बंबई है-वह उपयुक्त ही है । वास्तव में श्री शान्तिभाई समिति जब मैं बनारस विश्वविद्यालय में प्राध्यापक था तब के आधारस्तंभ हैं। वे सम्मान के अधिकारी हैं। मैं उनके से मैं उनसे परिचित हैं। वे विश्वसनीय और उच्चकोटि के अमृतोत्सव की संपूर्ण सफलता चाहता हूँ। मेरे सन्मिन रहे हैं इतना ही नहीं वे उदात्त मनोवृत्ति और उच्च सामाजिकता के आदर्श हैं। -डा०बूलचन्द, नई दिल्ली Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012073
Book TitleShantilal Vanmali Sheth Amrut Mahotsav Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherSohanlal Jain Vidya Prasarak Samiti
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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