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________________ आगम संबंधी लेख संदर्भ सूची निर्वाण भक्ति - आ. कुन्दकुन्द 1. 2. रत्नकरण्ड श्रावकाचार सटीक श्लोक - 2 3. 4. 5. 6. 7. 8. धम्मो वत्थु सहावो उत्तमखमादि दह विधो धम्मो । रयणत्तयंहि धम्मो जीवादीरक्खणं धम्मो ॥ कार्तिकेयानुप्रेक्षत्त ॥ यतोऽभ्युदयसिद्धिः स धर्मः । - आ. सोमदेव नीतिवाक्यामृत - 1 यागो यज्ञः क्रतुः पूजा सपर्येज्याध्वरो मखः । मह इत्यपि पर्यायवचनान्यर्चना विधे: || महापुराण (आ. जिनसेन) 67 / 193 जिणवर चरणम्बुरुहं जे णमंति परममत्तिराएण । ते जम्मबेलिमूलं खणंति वरभाव सत्थेण ॥ भावपाहुड - 153 परमात्मप्रकाश (1-123), योगसार - 42 जिणविम्ब दंसणेण णियत्तणिकाचिदस्स विमिच्छतादिकम्मकलावस्स खयदंसणादो | धवला 6 / 19-9, 22 /427/9 9. जिनप्रतिमा जिनसारिखी कही जिनागम माँहि । (समयसार नाटक) अ. 13 / 1 10. जो जाणादि अरहंतं दव्वत्त गुणत्त पज्जयत्तेहिं । सो जाणादि अप्पाणं मोहो खलु जादि तस्स लयं ॥ प्रवचन - 80 11. वसुनन्दि प्रतिष्ठा पाठ (4/69-70) 12. रत्नकरण्ड श्रावकाचार 119 साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ Jain Education International 545 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012072
Book TitleDayachandji Sahityacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
PublisherGanesh Digambar Jain Sanskrit Mahavidyalaya Sagar
Publication Year2008
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size25 MB
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