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________________ ४१२ ५.२.९७ ५.२.९८ जलालिया-नी ५.२.१०३ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व श्री थावच्चा ऋषि गीतम्; चार प्रत्येकबुद्ध रास (१.३) जाइ रे जीउरा निकसकइ । - द्रौपदी - चौपाई (३.६ ) ; सिंहलसुत - चौपाई (६); गणधरवसही आदि जिन स्तवनम् (७) ५.२.९९ जा जा रे बांधव तुं बड़उ । ५.२.१०० जानी एता मान न कीजियइ ए । - सीताराम - चौपाई (७.४) ५.२.१०१ जानी बे सिहर बड़ा मुलताण विचि मन्दारा सोहदा मइज जाषी बे। - मृगावती - चरित्र चौपाई (३.९) ५.२.१०२ जिणवर सुं मेरउ मन लीणउ । - वल्कलचीरी-‍ - रास (४); द्रौपदी - चौपाई (१.२) ५.२.१०९ झूबखरा । ५. २.१०४ जीवड़ा जिनधर्म कीजियइ । • थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.९); नलदवदन्ती - रास (३.१ ); शत्रुञ्जय - रास ( २ ); श्री ऋषिदत्ता गीतम्; सीताराम - चौपाई (३.१,५.२) जिनजी तुम दरसण मुझ नइ बालहु । -मृगावती- चरित्र चौपाई (३.११) शत्रुञ्जय - रास (४) - द्रौपदी - चौपाई (१.४) - - शांब - प्रद्युम्न - चौपाई (१५) Jain Education International ५.२.१०५ जुद्ध सण्यउ पद्यावती रे । ५.२.१०६ जैसलमेर जीराउलइ रे । ५.२.१०७ जोगनानइ कहिज्यो रे आदेश । ५.२.१०८ झांखर दीवा रे बलइ रे, कालरि कमल न होइ । छोरि मूरिख मेरी बांहड़िया, मींया जोरइंजी प्रोति न जोइ ॥ - सीताराम - चौपाई (४.२) - ५.२.११० ठमकी- ठमकी पायनउ । - - नलदवदन्ती - रास (१.२) - सीताराम चौपाई (८.२) चार प्रत्येकबुद्ध-रास (३.४) - सीताराम - चौपाई (९.३) - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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