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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ तपस्या से आलोकित जीवन - श्रेणिककुमार घोंचा, रतलाम भारतवर्ष रत्नगर्भा वसुन्धरा है। इस पावन धरती पर दानवीर, धर्मवीर, तपवीर शूरवीर आदि अनेक प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तियों ने जन्म लेकर उसके गौरव में चारचांद लगाये हैं। उल्लेखनीय है कि संसार में सन्तों का स्थान सदैव सर्वोच्च रहा है। बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं ने भी उनके चरणों में अपना शीश झुकाया है। इसका कारण उनकी सेवा और तपस्या है जिससे विश्व आलोकित हुआ है, हो रहा है । सामान्य मानव ऐसे सन्त महात्माओं के उपदेशों को सुनकर, पढ़कर उन पर चिन्तन मनन कर अपना जीवन सफल बनाने का प्रयास करता है। महान आत्माओं के प्रति समर्पित होकर उनका मान-सम्मान करना, अभिनन्दन करना कोई नई परम्परा नहीं है । उसी परम्परा का निर्वहन है श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के पावन अवसर पर प्रकाशित होनेवाला अभिनन्दन ग्रन्थ । मैं अपनी ओर से इस आयोजन की सफलता की हृदय से कामना करता हूं । श्रद्धेय आचार्यश्री सुदीर्घकाल तक स्वस्थ रहते हुए अपने आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन से जन-जन का कल्याण करते रहे यही शुभकामना है। श्रद्धेय आचार्यश्री के चरणों में कोटि कोटि वंदन । विरल व्यक्तित्व -मोहनलाल राठौर, झाबुआ महान सेवाभावी त्यागी, तपस्वी श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. ने वासंती वय में संयमव्रत अंगीकार कर अपने मानव भव को सफल बनाने का प्रयास किया । किशोर अवस्था में ही आपके हृदय में वैराग्य के बीच प्रस्फुटित हो गये थे । जिसका सहज अर्थ यही है कि आपने अपने जीवन के प्रारम्भ में ही इस संसार की असारता का अनुभव कर लिया था । ऐसी भव्य आत्माएं विरल ही होती है । श्रद्धेय आचार्य भगवन ने अपने सतगुणों से गुरु गच्छ की कीर्ति में वृद्धि ही की है । आप शान्त स्वभावी, निश्छल हृदयी एवं सरलमना व्यक्तित्व के स्वामी हैं । आपके जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के पवन अवसर पर आपके सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है, यह जानकर हृदय आल्हादित है । मैं इस आयोजन की सफलता के लिये हृदय की गहराई से शुभकामना प्रेषित करता हूं और आचार्यश्री के चरणों में वंदन करते हुए उनके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना शासनदेव से करता हूं । आडम्बर रहित जीवन -महेश डूंगरवाल, कुक्षी यह परम आनन्ददायक समाचार है कि श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के शुभ अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है । श्रद्धेय आचार्य भगवन का व्यक्तित्व सरल सौम्य एवं मधुर है। सामान्य जन भी आपके सम्पर्क में आकर अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। आप अपनी बात जन सामान्य की भाषा में ही फरमाते हैं तात्विक विषय को भी आप कुछ इस प्रकार समझाते हैं कि श्रोता सहज ही उसे आत्मसात कर लेता है । आपका जीवन आडम्बर एवं छलकपट से रहित है आपकी अमृतमय वाणी जन जन में धर्म के बीजवपन करती है आपकी सहजता और सरलता के कारण ही जन साधारण भी आपकी ओर आकर्षित होकर धर्मलाभ प्राप्त करते हैं । | Education इस पावन अवसर पर में आपके पावन चरणों में वंदन करते हुए आपके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की वीरप्रभु से विनती करता हूं और अभिनन्दन ग्रनथ के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं । हेमेकर ज्योति * हेमेकर ज्योति 45 For Pivate हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति warmlibrary
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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