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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ - अनुकरणीय आदर्श जीवन कोलचंद धर्माजी गांधी मूथा, भीनमाल मानव जीवन की सफलता उसके चरम लक्ष्य मोक्ष्य की प्राप्ति है । मोक्ष प्राप्ति के लिये अनेक प्रयास किये जाते हैं। इन प्रयासों में केवल साधु जीवन ही एक ऐसा साधन है, जो मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग को प्रशस्त करता है – मोक्ष प्राप्त कराता है । स्मरणीय है कि सर्वसम्पदा से सम्पन्न, महान ऋद्धि धारक तीर्थकर भगवान भी अपने जीवन में साधु वृत्ति अपना कर साधना करके मोक्ष प्राप्त करते है । परम श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. शान्तमना, सरलस्वभावी तपोनिष्ठ संतरत्न है । वे सतत, धर्माराधना में लीन रहते हैं । उनका आदर्श जीवन समस्त लोगों के लिये अनुकरणीय है। मैं श्रद्धेय आचार्य भगवन के सुदीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं और उनके जीवन अमृत महोत्सव तथा दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर प्रकाश्यमान अभिनन्दन ग्रन्थ के लिये अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं । श्रद्धेय आचार्यश्री के चरणों में कोटि कोटि वंदनाएं । माधुर्य से ओतप्रोत व्यक्तित्व -लक्ष्मीनारायण पंडित, बांसवाड़ा यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्रीमदविजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है | श्रद्धेय आचार्य भगवन जितेन्द्रिय साधक हैं । आपका जीवन धीरता, वीरता, विनम्रता, गम्भीरता, शांतिप्रियता, निर्भीकता, निष्पक्षता, दयालुता, सेवाभावना, व्यवहार कुशलता, संयम साधना आदि विविध गुणों से परिपूरित है । आपके ऐसे गुण निष्पन्न जीवन को देखते हुए संस्कृत काव्य की निम्नांकित पंक्तियां स्वतः स्मरण हो आती है - अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसित मधुरं, हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरिखलं मधुरम् वचनं मधुरं चरितं, मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरं, चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् || आपकी प्रत्येक गतिविधि में माधुर्य घुला हुआ है । चातुर्य, माधुर्य, औदार्य और साथ ही साथ दिव्य एवं जीवन के सत्य से आपका व्यक्तित्व ओतप्रोत है । जब कोई थकाहारा दर्शनार्थी आपके दर्शन करता है तो उसके मुखमण्डल पर स्फूर्ति तैर जाती है । आपके व्यक्तित्व में अद्भुत जादू है । ऐसे आचार्यदेव जिनका जीवन माधुर्य से ओतप्रोत है, के सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए कोटि कोटि वंदन अर्पित करता हूं । हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति 44 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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