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________________ म gooooooooooooo समकित दानी महाउपकारी जिनवर ध्यान करे भवपारी मिथ्यातम से मुक्ति दिलाई यशकीर्तिलीला जग गाई पावन क्रिया राह दिखाते पद निर्वाण का भान कराते जन्म मरण का दुःख मिटाते भव भ्रमणा से मुक्ति दिलाते शिथिलाचार बढ़ा धरती पर चिंतन करते सुज्ञ गुरुवर सत्यक्रियाको धार लिया था जावरा क्रियोद्धार किया था मांगीतुंगी पहाड़ बड़ा था अध्यात्म का रंग चढ़ा था अहम् पद का सुमिरन करते भक्तों के दुःख दारिद्र हरते उपशम संवर गुण में रमते जिन आज्ञा को दिल में धरते चार कषाय को मन से तजते पंचमहाव्रतपालन करते चिरीला मनभेद मिटाया जालोर चैत्यकाद्वार खुलाया नवशत बिंब को अंजन कीना आहोर माहे पदवी लीना शीतलचन्दनचन्द्र कहाना मुख मुद्रा वीतराग समाना आतम निर्मल वाणी मधुरी पूज्य गुरूवर धर्म की धूरी आगम ज्ञाता ज्ञान दिवाकर राजेन्द्र कोष लिखा रचनाकर प्राकृत संस्कृत के रत्नाकर ज्योतिपुंज ही आपसुधाकर मैत्री करूणा सबपर रखना आत्म सरल शुभ भाव को धरना गुरु उपदेश सदा हितकारी पंचमकाले जयजयकारी lication internation NFasna org
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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