SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ आजीवन ऋणी रहूँगा ___ - मुनि पीयूषचंद्रविजय गुरु शब्द जितना छोटा दिखाई देता है, वह उतना ही विषाल है । गुरु की महिमा में सभी धर्मों में बहुत कुछ लिखा गया है । पाष्चात्य चिंतकों ने भी महिमा गायी है । गुरु को एक ऐसा दीपक बताया गया है जो स्वयं जल कर दूसरों को प्रकाष प्रदान करता हैं । वैसे गुरु का शाब्दिक अर्थ भी यही है अंधकर को दूर कर प्रकाष प्रदान करने वाला अर्थात गुरु हमारे अज्ञानी रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में ज्ञान रूपी प्रकाषक कर देता है । यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे दीक्षा प्रदाता पूज्य गुरुदेव राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यश्रीमदविजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. है । पूज्य गुरुदेव ने मुझे दीक्षाव्रत प्रदान कर आत्मकल्याण का मार्ग दिखाया, उसके लिये मैं पूज्य गुरुदेव का आजीवन ऋणी रहूंगा उन्होंने मुझे मानवभव को सार्थक करने का मार्ग बताया, यह उनका बहुत बड़ा उपकार है। ऐसे ज्ञानी गुरुदेव के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर मैं अपने हृदय की गहराई से उनके सुदीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की शुभकामना अभिव्यक्त करते हुए उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन करता हूं। 4 हार्दिक शुभकामना उपप्रवर्तक डॉ. राजेन्द्र मुनि राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्र सूरीजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर उनके सम्मानार्थ एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है । यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई । यह अभिनन्दन व्यक्ति का नहीं गुणों का है । उनकी दीर्घ संयम पर्याय का है । जैन धर्म व्यक्ति पूजक न होकर गुण पूजक है । गुणों का सम्मान करना, अभिनन्दन करना अपने आराध्य के प्रति समपर्ण का प्रतीक है । आपका यह प्रयास सफल हो और आचार्यश्री सुदीर्घ काल तक स्वस्थ रहते हुए संघ और समाज को अपने आशीर्वाद तथा मार्गदर्शन से सिंचित करते रहें, यही हार्दिक शुभकामना है । (श्रमण संघीय स्व, आचार्य सम्राट श्री देवेन्द्रमुनिजी म.सा. के सुशिष्य)। दीर्घ जीवन की कामना उपाध्याय प्रसन्नचन्द्रविजय - मुनि प्रियंकर विजय बड़ी प्रसन्नता का विषय है कि परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि वर्तमान आचार्य देवेश श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जाकर भक्तजनों को गुरुभक्ति से प्रोत्साहित करने का बीड़ा उठाया है। इस महान कार्य के लिए हम अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करते हैं । आचार्य श्री का सान्निध्य प्राप्त करने का हमें कम ही समय मिला, परन्तु वह घड़ी अभी तक हमारे स्मृति पटल पर अंकित है जब आहोर नगर में प. पू. गुरुदेव आचार्य श्री लब्धिचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. एवं परम आदरणीय पूज्य गुरुदेव मुनिराज श्री कमलविजयजी म.सा. की साक्षी में गुरुदेव को आचार्य पद से अलंकृत किया गया था । कितना उल्लास एवं आनंद का अवसर था जब हम इस पुण्य समारोह का दर्शन लाभ ले सके थे । आचार्य प्रवर शान्त, स्नेहयुक्त एवं सरलता की प्रतिमूर्ति हैं । आप प्रखर विद्वान, नम्र, सहज कृपा बरसाने वाले वयोवृद्ध युग पुरुष है । आपकी सौम्यता स्नेह युक्त वाणी श्रावक भक्तों के लिए सदा प्रेरणा देती रही हैं। प. पू. श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी रत्न पारखी है । झाबुआ प्रवास के अवसर पर आप द्वारा संग्रहित पाषाण रत्नों (मोहनखेडा तीथ) के खजाने को देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ था । सच्ची गुण ग्राहकता के आप धनी है । अपने शिष्य वन्दों को सहज स्नेह से प्लावित करने की शक्ति इनमें कूट कूट कर भरी पड़ी है । आपका निश्च्छल प्रेम एवं आशीर्वाद सभी को मिलता रहे एवं श्री सौधर्म बृहत् तपागच्छीय त्रिस्तुतिक संघ की शोभा बढाते रहें । आपके दीर्घ जीवन की कामना करते हैं । हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 8 हेमेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति DEngdri
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy