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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ क्षमावान -मुनि जयशेखरविजय प.पूराष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. सरलता एवं सहजता की साक्षात प्रतिमा हैं। क्रोध तो आपके पास फटकता भी नहीं है। आपका स्वभाव सबके लिए प्रेरणास्रोत है। यदि किसी से जाने-अनजाने में कोई गलती भी हो जाती है तो आप उसे सहज ही कह देते हैं 'आगे ध्यान रखना' । इससे आप साक्षात क्षमावतार ही प्रमाणित हुए हैं। आपकी दीक्षा हीरक जयंती एवं जन्म अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रकाशित होने वाले अभिनंदन ग्रंथ की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामना के साथ ही आचार्यश्री के सुस्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की मंगल मनीषा के साथ उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन। तीर्थ विकास के प्रेरक -मुनि ऋषभचंद्रविजय विद्यार्थी प्रातः स्मरणीय, विश्व पूज्य गुरुदेव श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. द्वारा संस्थापित जैन तीर्थ श्री मोहनखेड़ा के समग्र विकास के लिये प.पू. गुरुदेव कविरत्न आचार्य श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. की अपनी कल्पना और योजना एवं उसके अनुरूप उन्होंने कार्य भी प्रारम्भ करवा दिये थे, किन्तु उनके अचानक स्वर्गवास के कारण वे अपनी कल्पना के अनुरूप विकास कार्यों को पूर्ण नहीं करवा सके। प.पू. कविरत्न आचार्यश्री के पट्टधर राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. को तीर्थ विकास की उनकी योजनाओं की जानकारी थी। इसलिये आप उन योजनाओं को पूरा करने के लिये अपने अनुयायियों और गुरुभक्तों को सतत प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं। आपके मार्गदर्शन में तीर्थ निरंतर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है और विकास कार्य किया जाता है तो प.पू.कविरत्न आचार्यश्री की कल्पनाएं ही मूर्त रूप ग्रहण कर लेगी। पू.आचार्यश्री की दीक्षा हीरक जयंती एवं जन्म अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके सुदीर्घ एवं सुस्वस्थ जीवन की हार्दिक शुभकामना करते हुए उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन। क्रियाशील व्यक्तित्व -मुनि जिनेन्द्रविजय अपने वैराग्यकाल में और फिर दीक्षा के पश्चात् से प.पू.राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमविजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. को मैंने सदैव धर्माराधनारत देखा है। उठते-बैठते, चलते-फिरते उनकी आराधना साधना चलती रहती है। मैंने कभी भी उन्हें निष्क्रिय बैठे नहीं देखा। आयु के इस मुकाम पर भी उनकी क्रियाशीलता युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है। हार्दिक प्रसन्नता है कि प.पू.आचार्यश्री की दीक्षा हीरक जयंती एवं जन्म अमृत महोत्सव के अवसर पर एक अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन हो रहा है। उसकी सफलता की हार्दिक मंगलकामना एवं आचार्यश्री के सुस्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन के लिए हार्दिक शुभकामना करते हुए उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन। परम कृपालु -मुनि रजतचंद्रविजय प.पू.दादा गुरुदेव कविरत्न आचार्य श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधर पू.राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. स्वभाव से बहुत कृपालु हैं। उनकी कृपा की अमृत बूंदें सभी पर समान रूप से पड़ती है। हमारे लिये तो उनका आदरणीय जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उनके सुदीर्घ संयमी जीवन में सदैव ही सद्गुणों का विकास होता आया है और वे प्राप्त ज्ञान को सबमें समान रूप से वितरित भी करते हैं। उनकी दीक्षा हीरक जयंती एवं जन्म अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके सुदीर्घ एवं सुस्वस्थ जीवन की मंगलकामना करते हुए उनके चरणों में कोटि कोटि वंदन। हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 7 हेमेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति Education
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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