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________________ ... श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ सरलता के जीवंत प्रतीक विजय हेमेन्द्रसूरि -लोकमान्य संत प्रवर्तक रूपचन्द म. रजत' इस विश्व वाटिका में अनेक जीवन पुष्प खिलते हैं, और काल के विकराल थपेड़े खाकर फिर मुरझा जाते हैं। जो फूल जन हित और जन कल्याण की सुवास फैला जाते हैं, वे अपने शाश्वत स्वरूप को धारण कर लेते हैं । फूल मुरझा जाता है किन्तु सुगंध कभी नहीं मिटती हैं । ठीक उसी तरह व्यक्ति चला जाता है, किन्तु व्यक्तित्व सदैव विद्यमान रहता है । इसी सत्य के मूर्तिमंत प्रतीक है आचार्य विजय हेमेन्द्र सूरीश्वर जी महाराज । आचार्य प्रवर का जन्म अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, यह सम्मान उनकी साधना, तपस्या एवं जनचेतना जागरण के लिये किये गये उन संकल्प का अभिनंदन है । आप आचार्य प्रवर श्रीमद राजेन्द्र सूरीश्वर जी म. के श्रमण संघ आकाश के ज्योतिर्मय नक्षत्र है । शांत दांत संयम निष्ठ गुणों के कारण आपकी व्यक्तित्व प्रतिभा लोक वंदित पूजित अर्चित एवं चर्चित है । आचार्य प्रवर के जीवन का एक विमल पक्ष यह भी है कि वे संप्रदाय की संकीर्ण परिधियों से मुक्त होकर समग्र मानवता के लिये अपने चिंतन को समर्पित किये हुए हैं । आपका महनीय व्यक्तित्व जिन देशना में कथित इस गाथा का जीवन्त उदाहरण है - चन्तारि पुरिस जाया पष्णता – तंजहा आयाणु कंपरणाम मेगे, णो पराणु कंपह, पराणु कंपए पराणु कंपए णाम भेगेण आयाणु कंपए एगे आयाणे कपए वि, एकिणे आयाणु कंपए णो पराणु कंपए । कई पुरुष अपनी आत्मा पर ही दया अर्थात अपनी सुरक्षा सुख सुविधा का ध्यान रखते हैं जैसे चोर लुटेरे । कई पुरुष दूसरों के प्रति अनुकंपा पूर्ण होते हैं और अपनी आत्मा के प्रति कठोर होते हैं, जैसे मैतार्य मुनि । कई पुरूष स्व और पर के कल्याण में सहाय भूत होते हैं ऐसे पुरुष महापुरुष की श्रेणी में आते हैं । इसके उदाहरण श्रमण महान होते हैं और अधम कोटि के अर्न्तगत वे व्यक्ति परिगणित होते हैं जो न अपने प्रति अनुकंपाशील होते हैं और न पर जीवों के प्रति उनके मन में करुणा का निर्झर बहता हैं । आचार्य प्रवर श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी का व्यक्तित्व आगम ज्ञान के दर्पण में स्व-पर के प्रति करुणाशील कोटि में आता है । आप वय दीक्षा और श्रुत की दृष्टि से स्थविरकल्पी साधक है । आपके इस दीर्घ ज्ञानानुभव एवं साधना का सम्मान कर कृतज्ञ श्रद्धालुजन एक सार्थक यज्ञ कर रहे हैं । मैं अपनी अनंत सद्भावना के साथ पूज्य आचार्य प्रवर के उच्च आदर्श मूलक जीवन की वर्धापना करता हूं। एक आदर्श व्यक्तित्व ज्योतिषाचार्य मालवरत्न मुनि जयप्रभविजय 'श्रमण परम पूज्य व्याख्यान वाचस्पति, साहित्याचार्य आगम दिवाकर जैनाचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्र सूरीश्वरजी महाराज का बागरा नगर पर विशेष स्नेह और आशीर्वाद था । इसका कारण भी यह रहा है कि बागरा श्री संघ प्रारंभ से ही त्रिस्तुतिक मान्यता का अनुयायी रहा । बागरा में जैन धर्म की अच्छी प्रभावना होती रही एवं वर्तमान में भी आज तक हो रही हैं । हमारे वर्तमान राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज की जन्मभूमि भी बागरा ही है । बागरा में जैन धर्म का विकास विषय पर एक पुस्तक तैयार हो सकती है । इस ओर अभी तक किसी ने प्रयास नहीं किया, किंतु प्रयास किया जाना आवश्यक है । वैसे यह उल्लेख करना प्रासांगिक ही होगा कि बागरा में अनेक विद्वान हुए है, अभी भी हैं और अनेक भव्य हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति4हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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