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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ उपर्युक्त विद्वानों के अतिरिक्त और भी अनेक जैन विद्वान मुनियों ने ज्योतिष शास्त्र विषयक ग्रंथों की रचना कर उल्लेखनीय योगदान दिया है । यथा हेमप्रभसरि, हीरकडवा, मेघ विजयगणि, महिमोदय उभयकशल, लब्धिचंद्रगणि आदि। वास्तव में देखा जाए तो इस विषय पर अभी गहन अनुसंधान की आवश्यकता है । यहाँ एक सारणी तैयार की गई है । जिज्ञासु विद्वान आगे अनुसंधान करेंगे । ऐसा विश्वास है। संदर्भ ग्रंथ 1. भारतीय ज्योतिष - पं. नेमिचंद्र शास्त्री । 2. बाबू छोटेलाल जैन स्मृति ग्रंथ । 3. भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान - डॉ. हीरालाल जैन | 4. वर्णी अभिनंदन ग्रंथ ।। 5. प्राकृत साहित्य का इतिहास | विक्रम स्मृति ग्रंथ । 6. 7. 8. 9. जैनधर्म का प्राचीन इतिहास भाग-2 परमानंद शास्त्री । जैन साहित्य और इतिहास । गणित सारसंग्रह -सं. डॉ. ए.एन उपाध्याय । 10. जैन सिद्धांत भास्कर भाग -14 दिनांक 01.13.48 । 11. सिंघी जैन ग्रंथमाला ग्रंथांक 21 । 12. जैनिज्म इन राजस्थान - डॉ. के. सी. जैन । 13. केवलज्ञान चूड़ामणि । 14. जैन वाड्मय का प्रमाणिक सर्वेक्षण । 15. त्रैलोक्यप्रकाश साथ ही कुछ अन्य ग्रंथ जैसे – ज्योतिष सार संग्रह, जिनरत्न शेष, हरिकलश जैन ज्योतिष । हिस्ट्री ऑफ क्लासिकल संस्कृत लिट्रेचर आदि - आदि । पुण्य और पाप ये दोनों सोने और लोहे की बेड़ी के समान हैं और मोक्षार्थियों के लिये ये दोनों बाधक हैं। ज्ञानी पुरुश अपने अनुभव के द्वारा पुण्य और पाप को निः ोश करने को यथा क्यि प्रयत्न गील रहते हैं। साथ ही इन्द्रियजन्य भोग-विलासों को सद्गुणी घातक समझ कर छोड़ देते हैं। इस प्रकार प्रयत्न लि रहने से सुख-दुःख का ताता समूल नश्ट होकर निःसंदेह मोक्षप्राप्ति होती है। श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. हेमेन्द ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 7 हेमेन्द ज्योति हेमेन्दा ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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