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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ वस्त्र धारण: स्नान करने के पश्चात् तौलिए से शरीर को पौछना, शरीर को सुखा देना चाहिए। फिर दूसरे साफ तौलिए से शरीर पौंछकर पूर्व में उपयोग में लाये गये तौलिए को बदलना चाहिए। ऐसा नहीं करने से गीले तौलिये पर पूजा के वस्त्र पहनने से वे अशुद्ध हो जायेंगे और आशातना के हेतु बनेंगें। इसलिए दूसरे साफ और सूखे तौलिए की बात बताई गयी है। पूजा के वस्त्रों की संख्या : पूजा के लिए श्रावक को धोती और दुपट्टा ये दो वस्त्र धारण करना चाहिए और श्राविकाओं को तीन वस्त्र धारण करना चाहिए। इनके अतिरिक्त और कोई वस्त्र जैसे बनियान, जांघिया आदि प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। पूजा के वस्त्र कैसे हों : शास्त्रों में सफेद रेशमी वस्त्रों का विधान पूजा के लिए बताया गया है। उसका कारण यह है कि रेशमी वस्त्र अशुद्धि छोड़ने वाले होते हैं जबकि सूति वस्त्र अशुद्धि ग्रहण करने वाले होते हैं। इसलिए जहाँ तक हो सके रेश्मी वस्त्रों का ही उपयोग करना चाहिए। कतिपय कारणों से कुछ लोग इनका भी निरोध करते हैं। वे इसमें हिंसा का दोष बताते हैं। सावधानियाँ : रेशमी वस्त्र चिकने होने से अधिक फिसलते हैं। इसलिए गाँठ ठीक प्रकार से लगानी चाहिए। दुपट्टा इस प्रकार ओढ़ें कि दाहिना कंधा खुला रहे। 3. धोती व्यवस्थित ढंग से पहनें। पूजा के वस्त्र शुद्ध रहना चाहिए। इसलिए उन्हें प्रतिदिन साबुन से साफ करना चाहिए। पूजा के वस्त्र प्रतिदिन पहनने के कपड़ों से अलग ही रखना चाहिए। पूजा के कपड़े पहनने से पूर्व कुछ देर तक धूप में सुखा लेना चाहिए। पूजा के वस्त्र पहनने के पश्चात् ऐसे व्यक्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए जिसने स्नान न किया हो। 8. पूजा के लिए जाते समय यह सावधानी रखें कि मार्ग में किसी मानव का स्पर्श न हों। मंदिर में रखे पूजा के वस्त्र उपयोग में न हों। पूजा के वस्त्रों का उपयोग सामायिक/प्रतिक्रमण के समय न रहें। 11. पूजन के वस्त्र अधिक समय तक पहन कर न रहें। 12. जब पूजन के वस्त्र पहन रखें हों तब जल पान, भोजन या अन्य कोई वस्तु न खायें। 13. साधारण वस्त्रों के साथ पूजा के वस्त्र न धोंयें। 14. पूजा के वस्त्र पहनने के पश्चात्, जूता, चप्पल आदि नहीं पहनना चाहिए। 15. मंदिर में प्रवेश करने के पूर्व पैर धोना चाहिए। 16. पूजा के वस्त्रों में लघु शंका आदि लग जाये तो उनका उपयोग नहीं करना चाहिए। 17. किसी के उपयोग किये हुए, फटे हुए, जमे हुए या जुडे हुए वस्त्रों का पूजा के लिए उपयोग नहीं करना चाहिए। हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 7 हेमेन्द ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति Maliniduatantanslated
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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