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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन गंथ । 7. पेयजल की उपलब्धता की दृष्टि से यात्रियों तथा आने जाने वाले व्यक्तियों को पीने का पानी सुगमता से मिलता रहे इस बात को ध्यान में रखते हुए पू. आचार्य भगवन ने एक गुरुभक्त को प्रेरणा प्रदान कर प्याऊ का निर्माण करवाया। इस प्याऊ के निर्माण होने से मंदिर परिसर के बाहर पेयजल की उपलब्धता सुगम हो गई । 8. पू. कविरत्न आचार्य श्रीमद विजय विद्याचन्द्र सूरि गुरू मंदिर :- पू. आचार्य भगवन ने गुरुमंदिर की श्रृंखला में स्व. कविरत्न आचार्य श्रीमद विजय विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के गुरुमंदिर का निर्माण गुरुभक्तों को प्रेरणा प्रदान कर बनवाया। 9. श्री राजेन्द्र यतीन्द्र विद्या उद्यान :- मुख्य मंदिरजी से कुछ दूरी पर इस उद्यान का निर्माण आपश्री कार्यकाल में हुआ । इस उद्यान में विभिन्न प्रजाति के फल, फूलदार वृक्ष पौधे है । वनस्पति संरक्षण की दृष्टि से इस उद्यान के निर्माण का महत्व है । 10. श्री यतीन्द्र सूरि क्रिया भवन :- धार्मिक क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिये अलग से एक भवन की आवश्यकता का अनुभव किया जा रहा था । श्री यतीन्द्रसूरि क्रिया भवन का निर्माण हो जाने से इस कभी की पूर्ति हो गई। 11. गोशाला :- जीवदया की दृष्टि से पू. आचार्य भगवन सदैव जागरूक रहे हैं । आपश्री के सान्निध्य में गौवंश संरक्षण के लिए यहां एक विशाल गौशाला अभी निर्माणाधीन है । 12. मानव सेवा की दृष्टि से भी पू. आचार्य भगवन के सान्निध्य में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं । स्मरण रहे कि सेवा पू. आचार्य भगवन का प्रारम्भ से ही लक्ष्य रहा है । इस दृष्टि से आपश्री के सान्निध्य में श्री राजेन्द्र सूरि नेत्र चिकित्सालय का निर्माण हुआ और नयनतारा नेत्र चिकित्सा शिविर का विशाल स्तर पर आयोजन भी हुआ । इस नेत्र शिविर में लगभग चार हाजर व्यक्तियो की आंखों के आपरेशन हुए जो अपने आप में एक रेकार्ड है | श्री राजेन्द्र सूरि जैन चिकित्सालय श्री नोपाजी लखमाजी निवासी सियाणा जिला जालोर द्वारा बनवाया गया । 13. गुरू सप्तमी समारोह हाल :- यहां पौष शुक्ला सप्तमी पू. गुरुदेव श्री राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. का जन्म एवं पुण्यतिथि दिवस विशाल स्तर पर प्रतिवर्ष मनाया जाता है । इस अवसर पर देश भर से हजारों की संख्या में गुरुभक्तों का यहां आगमन होता है । यह समारोह एक पर्व के रूप में मनाया जाता है । गुरु सप्तमी पर्व सुव्यवस्थित रूप से सम्पन्न हो, इस दृष्टि से आपश्री की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में एक विशाल गुरु सप्तमी हाल का निर्माण करवाया गया । __14. हाई वे पर मुख्य द्वार :- अहमदाबाद की ओर जाने वाले हाई वे पर श्री मोहनखेडा तीर्थ की ओर जाने वाले मार्ग पर एक विशाल एक भव्य द्वार का निर्माण करवाया गया । 15. श्री मोहनखेडा तीर्थ आदिवासी क्षेत्र में स्थित है । आदिवासी प्रायः व्यसनों में लिप्त रहते हैं । आदिवासियों को व्यसन मुक्त जीवन व्यतीत करने की दृष्टि से पू. आचार्य भगवन के सान्निध्य में दो तीन बार आदिवासियों के सम्मेलन भी यहां आयोजित किये गये हैं । इन सम्मेलनों में हजारो की संख्या में आदिवासि लोग सम्मिलित होते हैं । उन्हें इस अवसर पर व्यसनों के दुष्परिणामों से अवगत कराया जाता है और व्यसन त्यागने की प्रेरणा दी जाती है । परिणाम सुखद रूप से सामने आये । हजारों की संख्या में आदिवासियों ने व्यसनों का त्याग किया है । उनके आचरण में भी परिवर्तन देखा जा सकता है । हेगेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति 79 हेमेन्द ज्योति* हेमेन्द ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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