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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ। सांचा सन्त इ जैन धरम का, इनका दरसन कर लिजो । पाप तमारा कटि जायगा, थोड़ो पुन्न कमइ लिजो ।। मनख जमारो फेरनि आवे, धन्य इके तम कर लिजोजी । पलक पांवड़ा आज विछइदो, कंकू पगलिया माण्डोजी ।।4।। सन्त समागम जणे कोनि, जनम यूंज गंवायो है । सन्त की सेवाजणे करि हे, जनम सफल बणायो है ।। घर बेठे गंगाजी आयी, डुबकी तम लगइ लोजी । पलक पांवड़ा आज विछइदो, कंक पगलिया माण्डोजी ।।5।। माया मोह को छोड़ो चक्कर, 'निर्मोही जद बण जाओगा । कइर्यो विट्ठलदास लोगों, सच्चो सुख तम पाओगा ।। सन्त सेवा में रमिगया तो, तरि जायगा परदादोजी ।। पलक पांवड़ा आज विछइदो, कंकू पगलिया माण्डोजी ।। हेमेन्द्रसूरिजी यां आवेगा, दरवाजे तोरण बान्दोजी 16 || हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 80 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द ज्योति Uml
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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