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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ महान विभूति तो समूचे मारवाड़ का गौरव है। आज जब उनके जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के उपलक्ष्य में एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है तो इस गौरव में और भी अभिवृद्धि हो रही है और हृदय प्रफुल्लित है इस समाचार से। __ मैं आपके इस आयोजन की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामना प्रेषित करता हूँ। परम पूज्य आचार्यश्री के पावन चरणों में कोटि-कोटि वंदन। साध पूरी हुई -गौतमचंद हस्तीमलजी, तेनाली वैसे तो परम श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वर म.सा. के मोहनखेड़ा तीर्थ की पावन भूमि पर और मारवाड़ के अनेक बार दर्शन करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ। मन में यह सोचा था कि प.पू. गुरुदेव कभी अपनी कर्मभूमि की ओर पधारकर कृतार्थ कर दे तो आनन्द असीमित हो जायेगा। इसे मैं अपना सौभाग्य ही मानता हूँ कि अपने दक्षिण भारत प्रवास के दौरान प.पू. आचार्यदेव का पर्दापण हमारे क्षेत्र में भी हुआ। यहाँ उनके दर्शन-वंदन करने से मन की साध पूरी हो गई। आयु के 85-86 वर्ष में भी पू. आचार्य सक्रिय हैं और युवकों को सदैव धर्म के प्रति श्रद्धावान बनाने के लिये प्रयास करते रहते हैं। ऐसे आचार्यश्री के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के उपलक्ष्य में एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन कर उनके चरणों में समर्पित करना एक स्तुत्य प्रयास है। मैं इस अवसर पर पू. आचार्यश्री के पावन चरणों में कोटि-कोटि वंदन करता हूँ। प्रभु भक्ति बनी रहे। -आचार्य नरदेवसागरसूरि पूज्य आचार्य भगवंत श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. से हाल ही में पेदीवरम में स्नेह मिलन हुआ। मिलनसार स्वभाव और सुरीली भक्तिमय स्वर इसी 85 वर्ष की आयु में सम्हाल कर रखा है और आप आज भी सरल पाठ कर सकते हैं आपकी दीक्षा पर्याय 60 वर्ष हो चुकी हे यह सुनकर - जानकर आश्चर्यसा हुआ। आपकी आयु प्रभु भक्ति एवं नवकार मंत्र में बनी रहे ऐसी शासन देव से प्रार्थना करता हूँ और वो स्वीकार करे। प्रस्तोता-गणि चन्द्रकीर्ति सागर सुरभित है कण कण -मेघराज जैन, इंदौर जब किसी उद्यान में सौरभ युक्त एक भी फूल खिला होता है तो उसकी सौरभ से समूचा वातावरण सुरभित हो जाता है। ठीक उसी प्रकार परम पूज्य गुरुदेव श्रीमज्जैनाचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की बगिया के एक पुष्प की सौरभ से आज देश का कण-कण सुरभित हो रहा है। वह पुष्प हमारे सामने आज पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के रूप में विद्यमान है। उनके सेवा, दया, क्षमा, समता, करुणा, उदारता, सरलता, शांतता, निरभिमानता, सहजता, निस्वार्थता, मृदुता, मितभाषिता, सत्यता, कर्मठता, धैर्य आदि सदगुणों की सौरभ से आज इस पावन धरा को कण-कण सुरभित हो रहा है जिसे उनके अनुयायी ही नहीं अन्य वर्ग के लोग भी महसूस कर रहे हैं। ऐसे सद्गुणों भण्डार पूज्यश्री के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के उपलक्ष्य में प्रकाश्यमान अभिनन्दन ग्रन्थ की सफलता के लिए मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए पूज्यश्री के चरणों में कोटि-कोटि वंदन करता हूँ। हेमेन्द्र ज्योति* हेगेन्द्र ज्योति 65 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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