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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ शुभकामना -ईश्वर भूरमलजी तांतेड, चेन्नई यह जानकार हार्दिक प्रसन्नता हुइ कि परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य प्रवार श्रीमदविजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के उपलक्ष्य में उनके सम्मानार्थ एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है। पूज्य आचार्य प्रवर ने अपने संयमी जीवन में सेवा को अधिक महत्व दिया। साथ ही आपने बच्चों में संस्कार वपन के कार्य को भी प्राथमिकता दी है। विश्वास है कि यह अभिनन्दन ग्रन्थ पूज्य आचार्य प्रवर के जीवन वृत्त को तो समग्र रूप से प्रस्तुत करने में सक्षम होगा ही, जैन विद्या से संबंधित महत्वूपर्ण विषयों पर भी सारगर्भित सामग्री प्रस्तुत कर अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ने में समर्थ होगा। इस अवसर पर मैं पूज्य आचार्य प्रवर के सुदीर्घ सुस्वस्थ जीवन की शुभकामना करते हुए उनके श्री चरणों में अपनी वंदना अर्पित करता हूं। बहुत बड़ी उपलब्धि -मीठालाल (आर.के.इलेक्ट्रिकल्स), मदुराई वर्तमान समय में प्रायः यह देखा जा रहा है कि यदि कोई व्यक्ति दस-पांच वर्ष किसी उच्च पद पर रह जाता है तो उसे उसकी महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हुए सम्मानित किया जाता है। इस परिप्रेक्ष्य में जब हम परमश्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमदविजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जीवन पर दृष्टिपात उनके संयमी जीवन के बासठ वर्ष पूर्ण हो गये हैं जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि का जितना भी सम्मान किया जावे वह कम ही है। यह भी प्रसन्नता का विषय है कि पू.आचार्यश्री की दीक्षा हीरक जयंती और जन्म अमृत महोत्सव को लक्ष्य कर उनके भक्तों ने उनके सम्मान में एक अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित कर उनके कर कमलों में समर्पित करने का संकल्प लिया है। मैं इस संकल्प की अनुमोदना करते हुए पू.आचार्यश्री के सुदीर्घ सुस्वस्थ जीवन की हार्दिक शुभकामना करता हूं। पू.आचार्यश्री के पावन चरणों में कोटि कोटि वंदन। सच्चे संयमाराधक -रमेशकुमार (राजस्थान ट्रेडिंग कं.), मदुराई वासंती वय में भोग का त्याग कर योग में प्रवृत्त होना कोई सरल बात नहीं है। ऐसा करना प्रत्येक युवक के सामर्थ्य की भी बात नहीं है। इस दृष्टि से जब हम परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जीवन पर दृष्टिपात करते हैं तो पाते हैं कि उन्होंने अपने युवा काल में समस्त सांसारिक भोगों का त्याग कर संयमव्रत की पालना कर अपने आपको सच्चा संयमाराधक प्रमाणित कर दिया है। आज उनकी इसी संयम यात्रा के परिणामस्वरूप उनके सम्मान में जब एक अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन होने जा रहा है तो हृदय पुलकित हो रहा है। इस अवसर पर उनके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए उनके पावन चरणों में अपनी वंदना अर्पित करता हूं। हेमेन्द्र ज्योति * हेमेन्द्र ज्योति 62 हेमेन्द ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति Sain Education anal Nachal Sodaimeliayog
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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